Business Idea: सरकार दे रही बढ़ावा, ढैंचा की खेती से यूरिया की टेंशन खत्म, होगी तगड़ी कमाई
Business Idea: देश के अधिकांश किसान भाई खेत में यूरिया और दूसरे केमिकल खाद का उपयोग करते है। इससे कुछ समय के लिए पैदावार तो अच्छी होती है, लेकिन केमिकल खाद के इस्तेमाल से कुछ समय में पैदावार धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताएंगे, जिसके इस्तेमाल से खेत में यूरिया जैसी खाद डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दरअसल, हम बात कर रहे है ढैंचा (Dhaincha) की जिसे हरी खाद के नाम से भी जाना जाता है। हरी खाद बनाने का बिजनेस आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। इससे खेती की उपजाऊ शक्ति में इजाफा होता है। इसके अलावा इसमें किसी भी तरह का कोई केमिकल नहीं होता है।
इसे बढ़ावा देने के लिए देश में कई राज्य सरकारें आर्थिक मदद भी मुहैया करा रही है। यह नाइट्रोजन समेत कई तत्वों से भरपूर होता है इसलिए यह किसी खाद से कम नहीं है। इसकी खेती करके आप मोटी कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप इसकी खेती कैसे शुरू कर सकते हैं।
हालांकि, ढैंचा की खेती (Dhaincha Farming) किसी भी सीजन में की जा सकती है। लेकिन ज्यादा अच्छे परिणाम के लिए खरीफ के सीजन में इसकी बुवाई कर सकते हैं। इसकी गांठों में नाइट्रोजन का भंडार पाया जाता है। इसलिए ढैंचा की कटाई करके उसे खेतों में ऐसे ही फैला दिया जाता है। (Business Idea)
आमतौर पर ढैंचा की खेती (Dhaincha Farming) किसी भी सीजन में की जा सकती है। लेकिन ज्यादा लेना चाहते हैं तो इसे खरीफ के सीजन में बुवाई कर सकते हैं। पहले खेत को अच्छे से जुताई करना बहुत जूरूरी है। इसकी बुआई सरसों की तरह लाइनों में या फिर छिड़काव विधि से की जा सकती है।
अगर आपका मकसद सिर्फ ढैंचा से हरी खाद बनाने का है तो खेत को सिर्फ एक बार जोतकर उसमें ढैंचा छिड़काव विधि से बुवाई कर सकते हैं। ढैंचा की खेती सामान्य तरीके से ही की जाती है।
इसकी बुवाई के मात्र एक से डेढ़ महीने के भीतर इसके पौधों की लंबाई 3 फुट तक पहुंच जाती है। इसकी गांठों में नाइट्रोजन का भंडार भर जाता है। इसी समय ढैंचा की कटाई करके खेतों में फैला दी जाती है।
सरकार दे रही खेती की 80 फीसदी लागत (Business Idea)
हरियाणा सरकार ने बजट 2023-24 में राज्य में प्राकृतिक खाद को बढ़ावा देने के लिए बड़ी घोषणा की है। राज्य सरकार ढैंचा की खेती पर 720 रुपये प्रति एकड़ (80% कॉस्ट प्राइस) का खर्च उठाने का ऐलान किया है। इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा। हरी खाद के इस्तेमाल से यूरिया की जरूरत खत्म हो जाती है। (Business Idea)
बता दें कि ढैंचा से हरी खाद बनाने पर खेतों में खरपतवार की संभावना नहीं रहती है। ढैंचा की खेती (Dhaincha Farming) करने के बाद इसे हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे यूरिया की एक तिहाई जरूरत पड़ सकती है।
हरी खाद बनाने पर खेतों में खरपतवार की संभावना नहीं रहती है। जिससे निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण की बड़ी लागत कम हो जाती है। इससे किसानों का खर्च घटेगा और कमाई बढ़ेगी। ढैंचा की खेती से एक एकड़ से करीब 25 टन तक की पैदावार मिल सकती है।
ढैंचा के बीज करीब 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मार्केट में बिकते हैं। ऐसे में ढैंचा की फसल से 10 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं। (Business Idea)