⇓ मनोहर अग्रवाल की बैतूल से रिपोर्ट
Betul News : मान्यता है और कथा में भी इस बात का वर्णन है कि पारिजात का वृक्ष समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था। इसके बाद इसे देवराज इंद्र ने स्वर्ग में लगाया था। बाद में योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने इसे अपनी रानी सत्यभामा को स्वर्ग से लाकर दिया था।
समुद्र मंथन में निकले 14 रत्नों में से एक पारिजात का पेड़ भी था। भगवान श्री कृष्ण को पारिजात के पुष्प बहुत पसंद थे। और वे हमेशा इसकी माला पहनते थे। इसलिए उन्होंने इंद्र को पराजित कर यह पेड़ धरती पर ला लिया।
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यह पेड़ लाने पर इंद्र ने श्राप दिया था कि इस पेड़ के फूल रात्रि में ही लगे रहेंगे, सुबह तक वह धरती पर गिर जाएंगे। तब से पारिजात के फूल रात में धरती पर बिखर जाते हैं। कहने को पेड़ दुर्लभ है, लेकिन बैतूल में एक हनुमान मंदिर ऐसा भी हैं जहां पारिजात के ताजे पुष्पों से उस मंदिर के द्वार का स्वयं प्रकृति साज-सज्जा करती है।
यह हनुमान मंदिर बैतूल जिला मुख्यालय के समीप कर्बला घाट पर है। यहां मंदिर के द्वार पर ही यह पेड़ लगा है। ऐसे में रोज इसके फूल रात में इसके द्वार पर झड़ जाते हैं। इसके बाद सुबह जब श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं तो उन्हें ऐसा एहसास होता है कि स्वयं प्रकृति ने मंदिर के द्वार की साज-सज्जा की हो। लोगों का कहना है कि ऐसा दृश्य कहीं और दिखलाई नहीं देता।
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