Amla Navami kyu manate hai : क्यों मनाई जाती है आंवला नवमी, यह है इस दिन का महत्व
▪️ लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
Amla Navami kyu manate hai : आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहते हैं। एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए आई तो उनकी इच्छा हुई कि भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा एक साथ की जाए। विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय हैं व शंकरजी को बेल पत्र। इन दोनों वृक्षों के सभी गुण आंवले के वृक्ष में मौजूद हैं। अतः देवी लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की, ताकि दोनों भगवान प्रसन्न हो जाएं। जिस दिन यह पूजा की गई, वह दिन कार्तिक की नवमी तिथि थी। तभी से हर वर्ष कार्तिक की नवमी को ये पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विद्यमान रहते हैं। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।
आंवला नवमी के दिन ही आदि शंकराचार्य ने ‘कनकधारा स्रोत’ की रचना की थी। कहा जाता है कि एक बार शंकराचार्य भिक्षा मांगते हुए एक गांव में पहुंचे। एक झोपड़ी बाहर खड़े होकर उन्होंने कहा, ‘भिक्षां देहि ।’ झोपड़ी के अंदर एक गरीब वृद्ध महिला ने जब यह पुकार सुनी तो वह सोच में पड़ गई। वह इतनी गरीब थी कि उस समय उसके पास इस संन्यासी को देने के लिए कुछ भी नहीं था। बस, एक सूखा आंवला था।
किसी तरह संकोच करते हुए उस वृद्धा ने वही आंवला हाथ में लिया और दरवाजा खोलते हुए शंकराचार्य से कहा कि मेरे पास आपको भिक्षा में देने के लिए इस सूखे आंवले के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। यह कहकर उसने शंकराचार्य की झोली में वह आंवला डाल दिया। शंकराचार्य से उस वृद्धा की यह हालत देखी नहीं गई। उन्होंने उसी क्षण ‘कनकधारा स्रोत’ की रचना करते हुए देवी लक्ष्मी की स्तुति की। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर लक्ष्मी प्रकट हो गईं। उन्होंने लक्ष्मी जी से उस औरत की गरीबी दूर करने की प्रार्थना की। लक्ष्मी जी ने उसी क्षण वहां स्वर्ण आंवलों की वर्षा कर दी और उस गरीब महिला की दरिद्रता दूर हो गई।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक की शुक्ल नवमी को श्री कृष्ण ने वृंदावन से मथुरा के लिए प्रस्थान किया था। आंवला नवमी के दिन महिलाएं जगह-जगह आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पका कर पूजा पाठ कर ग्रहण करती है। विटामिन ‘सी’ सबसे ज्यादा आंवला में पाया जाता है। जो मानव शरीर के ऊतकों को पुनः ठीक करके उन्हें स्वस्थ करता है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। च्यवनप्राश के सेवन करने का कारण भी यही है कि इसमें डाला गया मूलभूत द्रव्य आंवला ही है।