let’s go to school…
गजब का विकास : घुटनों भर पानी और कीचड़ से सराबोर होकर… खतरनाक और उफनते नदी-नाले पार कर… आओं, स्कूल चले हम…
◼️ उत्तम मालवीय, बैतूल जनप्रतिनिधियों के हवा-हवाई विकास के दावों को सुनकर तो ऐसा लगता है कि अब कहीं भी किसी काम या सुविधा की जरा भी जरूरत ही नहीं रह गई है। लेकिन, शहरों से हटकर आसपास के ग्रामीण अंचलों पर ही निगाहें घुमा ली जाएं तो इन दावों की हकीकत सामने आ जाती है। स्थिति यह है कि…
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