▪️ विजय प्रजापति, आठनेर
Betul Road Problem: देश को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं। देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है पर, कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। ऐसा ही हाल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम धायवानी के बाबजई का है। जहां आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी आज तक गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनी है।
गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि इस गांव की दूरी ब्लॉक मुख्यालय से 45 किलोमीटर है। गांव में बीमार पड़ने पर लोग पीड़ित को चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाते हैं। हालांकि, कुछ वर्ष पहले इस रास्ते में मौरंग बिछाने का कार्य प्रारंभ हुआ था, लेकिन वह अभी आधे रास्ते में ही बिछाई जा सकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव के समय नेताओं के द्वारा सड़क बनाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन चुनावों के बाद कोई भी नेता गांव की तरफ नहीं देखता है। लोगों ने बताया कि जिलाधिकारी से लेकर कई नेताओं और मंत्रियों को भी गांव में सड़क निर्माण के लिए आवेदन दिया। लेकिन, इसके बावजूद भी आज तक प्रशासन ने गांव में सड़क निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
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नहीं बनी सड़क, ऐसे होता है सफर pic.twitter.com/wEJG4UWlKL
— Betul Update (@BetulUpdate) August 21, 2023
क्या कहते हैं ग्रामीण और सरपंच
इस बारे में ग्रामीण अनसाराम सेलूकर कहते हैं कि गांव में सड़क नहीं होने से आने-जाने में लोगों को काफी परेशानी होती है। बीमारी की हालत में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है। लखन कासदेकर कहते हैं कि पक्की सड़क न होने के कारण बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए गांव में कोई वाहन नहीं आता है। इससे गांव से पांच किलोमीटर दूर रोड तक पैदल आना पड़ता है।
ग्रामीण यशवंत धुर्वे कहते हैं कि गांव तक आने वाले रास्ते पर मौरंग बिछी होने के कारण वाहन चलाने में काफी परेशानी होती हैं। जिससे आए दिन राहगीर गिरकर चोटिल हो जाते हैं। सरपंच मालती जय प्रकाश कास्देकर का कहना है कि गांव में सड़क निर्माण के लिए कई बार जिलाधिकारी एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया। लेकिन, सड़क निर्माण के लिए अभी तक कोई पहल नहीं हुई है।