Mandir Jane ke Fayde : रोजाना मंदिर जाने के होते हैं कई लाभ, आस्था मजबूत होने के साथ ही शरीर भी रहता है स्वस्थ

Mandir Jane ke Fayde: There are many benefits of going to the temple daily, along with strengthening the faith, the body also remains healthy.

▪️ पंडित मधुसूदन जोशी, भैंसदेही (बैतूल)

Mandir Jane ke Fayde : अधिकांश हिंदू धर्मावलंबियों की भगवान में गहरी आस्था होती हैं। हालांकि वे मंदिर कभी कभार ही जाते हैं। घर में बने पूजा घर में ही पूजा अर्चना कर वे अपनी आस्था प्रकट कर देते हैं। इसके विपरीत हम यदि रोजाना मंदिर जाए तो इससे भगवान की भक्ति का अवसर मिलने के साथ ही और भी कई लाभ होते हैं। आज के इस लेख में हम नित्य मंदिर जाने के लाभों के बारे में जानेंगे। (Mandir Jane ke Fayde)

  • मंदिर जाने से हमारा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जगने का नियम बनता है और हम उठते ही अपने नित्य कर्म जैसे उषापान, शौच, दन्त धावन, स्नान आदि से निवृत हो जाते हैं।
  • पास के मंदिर पैदल जाने से हमारा भ्रमण व्यायाम होता है, प्राणवायु मिलती है और उगते हुए सूर्य की दिव्य लालिमा का अवलोकन होता है।
  • मंदिर की घंटी की 7 सेकंड की टन्कार पर ध्यान केन्द्रित होने से हमारा मन सभी सांसारिक विषमताओं से हट कर प्रभु के चरणों में अर्पित हो जाता है।
  • मंदिर में भगवान को अर्पित फूलों की खशबू से हमें स्वास्थ्य लाभ मिलता है और उत्साह वर्धन होता है।
  • मंदिर में अर्पित भिन्न भिन्न फूलों के विविध रंगों से हमारे अन्तरमन को सुकून मिलता है।
  • मंदिर में कपूर और अगरबत्ती की दिव्य सुगंध से हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और नकारात्मकता समाप्त होती है। हाल ही में फैले कोरोना वायरस के जैविक संक्रमण से बचने में कपूर की अहम भूमिका की बहुत चर्चा हुई थी।
  • मंदिर में अपने जीवन के उद्देश्यों को दोहराते हैं और ईश्वर से सफलता का आशीर्वाद माँगते हैं।
  • सुबह उठते ही हम उस दिन की कार्य सूची लिखते हैं और उसे मंदिर ले कर जाते हैं। वहाँ उन सभी कार्य को पूरा करने हेतु कठोर परिश्रम का संकल्प लेते हैं।
  • जब हम मंदिर में आरती और कीर्तन के दौरान ताली बजाते हैं तो हमें इस एक्यूप्रेशर से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
  • आरती में बजाये जाने वाली छोटी घंटी से हमारा पित्त दोष सन्तुलित होता है। शायद इसी कारण से गऊमाता के गले मे भी घंटी बाँधी जाती है क्योंकि ये सर्वमान्य है गाय में पित्त ज्यादा होती है।
  • आरती के दौरान चालीसा के जाप से हमारी वाणी में दिव्यता आती है। ओम् के उच्चारण से हमारा चित एकाग्र होता है।
  • आरती के बाद शंख बजाया जाता है जो श्रद्धालुओं के लिए बहुत सुखदायी और स्वास्थ्य वर्धक है।
  • आरती के बाद हम भारत माता की, गंगा मैया की जय बोलते हैं जिससे हमारी देश भक्ति जागृत होती है।
  • हर मंदिर में आरती के बाद गो रक्षा और गौ हत्या बंद होने का संकल्प जरूर दोहराते हैं।
  • आरती के बाद हम ज्योत पर अपना हाथ घुमा कर अग्नि स्पर्श करते हैं। इससे हमारी कोशिकाओं को दिव्य ऊष्मता मिलती है और हमारे भीतर पल रहे सभी जीवाणु संक्रमण समाप्त हो जाते हैं।
  • ज्योत पर हाथ फेरने के उपरान्त हम अपनी ऊष्म हथेलियों को आंखों से लगाते हैं। यह गर्माहट हमारी आंखों के पीछे की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को खोल देती है और उन में ज्यादा रक्त प्रवाहित होने लगता है। जिससे हमारी आँखों की ज्योति में वृद्धि होती है।
  • ज्योत पर हथेली रखना हमारे द्वारा हुई सभी भूल चूक के प्रायश्चित का भी प्रतीक है।
  • आरती के बाद हम दण्डवत हो कर माथा धरती पर लगाते है तो हमारा घमण्ड चूर-चूर होकर धरती में समाहित हो जाता है।
  • मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद हमें तुलसी, चरणामृत और प्रसाद मिलता है। चरणामृत एक दिव्य पेय प्रसाद होता है जिसे गाय के दुग्ध, दही, शहद, मिस्री, गंगाजल और तुलसी से बना कर विशेष धातु के बर्तन में रखा जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक यह चरणामृत हमारे शरीर के तीनों दोषों को संतुलित रखता है।
  • चरणामृत के साथ दी गई तुलसी हम बिना चबाए निगल लेते हैं जिससे हमारे सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
  • मंदिर में पूजा अर्चना के बाद जब हम भगवान की मूर्ति की परिक्रमा करते हैं। पूरे ब्रह्मांड की दैवीय उर्जा गर्भस्थान के शिखर पर विद्यमान धातु के कलश से प्रवाहित हो कर ईश्वर की मूर्ति के नीचे दबाई गई धातु पिंड तक जाती है और धरती में समा जाती है। गर्भस्थान की प्ररिक्रमा के दौरान हमें इस ब्रह्मांडीय उर्जा से लाभ मिलता है।
  • मंदिर की भूमि को सकारात्मक ऊर्जा का वाहक माना जाता है। यह ऊर्जा भक्तों में पैर के जरिए ही प्रवेश कर सकती है। इसलिए हम मंदिर के अंदर नंगे पांव जाते हैं।
  • मंदिर से बाहर आते हुए फिर से घंटी बजा कर हम संसारिक ज़िम्मेदारियों में वापिस आ जाते हैं।
  • मंदिर में सूर्य को जल अर्पित करने से हम उसकी आलौकिक किरणों से लाभान्वित होते हैं।
  • पीपल, बड़, बरगद को जल अर्पण करने से हमें वहाँ फैली ख़ास तरह की ऑक्सीजन मिलती है। ये सभी एक दिव्य वृक्ष है जो बहुत अघिक मात्रा में प्राणवायु को चारों और विसर्जित करते हैं। इसके पत्ते इतने संवेदनशील होते हैं कि वे रात्रि में भी चंद्रमा की किरणों से आक्सीजन पैदा करते हैं।
  • मंदिर में हम तुलसी के पौधे और केले के पेड़ को भी जल देकर तृप्त होते हैं।
  • मंदिर से बाहर आकर हम वहाँ मौजूद ज़रूरतमंदों को दान पुण्य करते हैं जिससें हमारे मन में शान्ति आती है।
  • मंदिर के माध्यम हम अपनी कमाई का दशम हिस्सा सामाजिक कार्यों में लगाते हैं और समाज में समरसता और सौहार्द आता है।
  • आजकल शहर में घरों में गो माता रखने का प्रवधान नहीं है पर हम मंदिर जा कर गो ग्रास देकर अपने संस्कारों को जारी रख सकते हैं।
  • मंदिर नित दिन जाने से हमारा नये धार्मिक लोगों से परिचय होता है।
  • मंदिर जाने से हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  • मंदिर जाने से वहाँ के पुरोहित जी से आशीर्वाद मिलता है और हमें पंचांग आदि जैसी कई जरूरी सांस्कृतिक जानकारी मिलती है। पंचांग के श्रावण या पाठन से हमें अपनी धार्मिक ज़िम्मेदारियों का पालन करने में मदद मिलती है और हमारा कल्याण होता है।
  • मंदिर में सभी वेद, पुराण, गीता, रामायण, महाभारत, आदि शास्त्र मौजूद होते हैं जिन्हें पढ़ कर हम अपना जीवन सफल कर सकते हैं।
  • हम सब प्रति दिन मंदिर जाने का संकल्प लें इससें हमारा समाज संगठित होगा, संस्कृति की रक्षा होगी और हमारा प्यारा भारत पुन: विश्व गुरू बनेगा।

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