बैतूल (betul update)। अमेरिका में कास्ट एण्ड वर्क एकाउण्ट एस्कॉर्ट्स लिमिटेड (Cost And Work Account Escorts Ltd America) और आईएफसीआई (IFCI) जैसी नामचीन कंपनियों में डिप्टी जनरल मेनेजर जैसे बड़े पदों पर अपनी सेवायें दे चुके विजय अग्रवाल आज भारत भारती विद्यालय के वंदना सत्र में विद्यार्थियों से मिले। श्री अग्रवाल विगत 30 वर्षों से अमेरिका के केलिफोर्निया (california) में रहकर वहाँ के वित्त विभाग (finance department) में अपनी सेवायें दे रहे हैं।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं के बीच अपनी बात रखते हुए श्री अग्रवाल ने बताया कि पिछले तीस वर्षों में उन्होंने अमेरिका मे रहकर ये जाना कि विदेशों में धन तो है किन्तु धर्म, संस्कृति संस्कार जैसी कोई चीज नहीं । आत्मीयता और पारिवारिक संबंध वहाँ देखने को नहीं मिलते। उन्होंने छात्रों से कहा कि आप भारत में रहकर ऐसे परिवेश में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है।
श्री अग्रवाल ने भारत की विशेषता के बारे में बताते हुए कहा कि अमेरिका में भारत की एक बहुत बड़ी जनसंख्या अपनी सेवायें दे रही है। वित्त विभाग, चिकित्सा विभाग, कार्पोरेट सेक्टर आदि में भारत के लोग अपनी उत्कृष्ठ सेवायें दे रहे हैं। वहाँ भारतीयों को सम्मान की नजर से देखा जाता है। इसका कारण भारतीयों का व्यवहार, सेवाभाव, और अपनत्व की भावना है जो हमें विदेशी भीड़ में भी पहचाना जा सकता है। वहाँ के भारतीय प्रतिष्ठानों में अधिक भीड़ देखने को मिलती है। अमेरिका जैसे और अन्य विकसित देशों में शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य नौकरी के माध्यम से धन कमाना है। किन्तु भारत में सर्वे भवन्तु सुखिन: (May everyone be happy) और वसुधैव कुटुम्बकम (Vasudeva Kutumbkam) की भावना से अपने कल्याण से सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की कामना करते हैं। हमारी यही भावना हमें दुनिया के किसी भी देश में गौरव का भान कराती है।
उन्होंने अपने संबोधन में छात्र-छात्राओं को गहन अध्ययन करके नई टेक्नोलॉजी (New technology) को समझने पर बल दिया। श्री अग्रवाल ने कहा कि हमने प्राचीनकाल से विश्वगुरू (Vishwaguru) बनकर विश्व का प्रतिनिधित्व किया है और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को केरियर के अनेक गुण सिखाये। उन्होंने कहा कि आप अपनी योग्यता के अनुसार धन-सम्पत्ति अर्जित करने हेतु दुनियाँ में कहीं भी जा सकते हैं । किन्तु अपनी मातृभूमि व धर्म को नहीं भूलें ।
वे 30 वर्षों से अमेरिका में रहते हैं, परन्तु वहाँ भी हिन्दू संस्कृति का प्रचार करते हैं। साथ ही प्रतिवर्ष भारत आते हैं तथा जितना सम्भव हो, गरीब व जनजाति विद्यार्थियों को शिक्षित करने में सहयोग करते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि प्रकृति के बीच अध्ययन करने का आनन्द अलग ही है। यहाँ आकर उन्हें भारत की गुरुकुल परम्परा देखने को मिली। श्री अग्रवाल ने कहा कि विदेश से धन कमा सकते हैं, किन्तु संस्कृति और संस्कार सीखने के लिये दुनियाँ को भारत में ही आना होगा । उन्होंने यह भी कहा कि अगले एक-दो दशक में पूरे विश्व के लोग पुनः भारत में शिक्षा प्राप्त करने के लिये आयेंगे।
अग्रवाल दम्पत्ति बैतूल की सोनाघाटी पहाड़ी पर गंगावतरण अभियान के तहत जनभागीदारी से किये गये जल संरक्षण व पौधारोपण देखकर अभिभूत हुए। उन्होंने कहा कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान की गतिविधियाँ अनेक वर्ष से देख रहे थे। आज प्रत्यक्ष रूप से देखकर लगा कि अगर योजना पूर्वक अभियान चलाया जाये तो दुनियाँ में कोई काम कठिन नहीं हैं। उन्होंने गंगावतरण अभियान में लगे सभी श्रमदानियों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में भारत भारती शिक्षा समिति के सचिव मोहन नागर, जनजाति शिक्षा के प्रान्त प्रमुख रूपसिंह लोहाने श्रीमती राजीश अग्रवाल, विद्यालय के प्राचार्य गोविन्द कारपेन्टर समेत सभी शिक्षकगण और छात्र-छात्राऐं उपस्थित थे।