Mahashivratri Kab Hai : इस दिन आ रही महाशिवरात्रि? जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि….
Mahashivratri Kab Hai : हर साल महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन की शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। हालांकि महाशिवरात्रि व्रत की तिथि को लेकर लोगों के मन में शंका की स्थिति बनी रहती है। तो आइए जानते है कब है महाशिवरात्रि व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त…..
शिवपुराण में उल्लेखित एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था। इस दिन विधिवत आदिदेव महादेव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है व कष्टों का निवारण होता है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च रात में 09 बजकर 57 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 09 मार्च शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना निशिता काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि व्रत इस साल 08 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री लिस्ट (Mahashivratri Kab Hai)
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम के समय 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इसके अलावा चार प्रहर का मुहूर्त इस प्रकार है-
महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें पूजा (Mahashivratri Kab Hai)
8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठें और स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ शिवजी के आगे व्रत का संकल्प लें।
फिर शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।
साथ ही केसर मिश्रित जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि के लिए दीपक जलाएं।
इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है, इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
आखिर में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।
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मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।