Rajni Bector Success Story : 300 रूपए उधार लेकर शुरू किया था काम, आज हैं सबसे बड़ी फूड कंपनी की फाउंडर, जानें पद्मश्री बिसनेस वुमन रजनी बेक्‍टर के संघर्ष की कहानी

Rajni Bector Success Story : 300 रूपए उधार लेकर शुरू किया था काम, आज हैं सबसे बड़ी फूड कंपनी की फाउंडर, जानें पद्मश्री बिसनेस वुमन रजनी बेक्‍टर के संघर्ष की कहानी

Rajni Bector Success Story : मेहनत यदि किसी की आदत बन जाए तो फिर कामयाबी ‘मुकद्दर’ बन ही जाती है। जब कोई भी व्यक्ति इसका अर्थ अच्छे से समझ लेता है, तो सफलता बहुत आसान लगती है। आज हम बात करने जा रहे हैं पद्मश्री और बिजनेस वुमन के अवार्ड से सम्‍मानित हो चुकी रजनी बेक्‍टर के संघर्ष की कहानी के बारे में। जिन्होंने इतनी लगन और मेहनत से अपने जुनून को फॉलो किया और आज उनकी कंपनी 2 हजार करोड़ से ज्‍यादा की हो चुकी है। आज वह फास्ट फूड इंडस्ट्री की सबसे बड़ी सप्लायर बन गई हैं। आईए जानते है रजनी जी की कहानी…

Rajni Bector Success Story : 300 रूपए उधार लेकर शुरू किया था काम, आज हैं सबसे बड़ी फूड कंपनी की फाउंडर, जानें पद्मश्री बिसनेस वुमन रजनी बेक्‍टर के संघर्ष की कहानी

17 साल की उम्र में ही हो गई थी शादी 

लुधियाना की रहने वाली 82 वर्षीय पद्मश्री रजनी बेक्टर को बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर और सोशल वर्कर के तौर पर साल 2021 में पद्मश्री से नवाज़ा जा चुका है। पद्मश्री रजनी बेक्टर क्रीमिका कंपनी की चेयरपर्सन और फाउंडर हैं। उन्होंने महज़ तीन सौ रुपये से बिजनेस की शुरुआत की थी, लेकिन आज दुनिया की सबसे बड़ी फूड कंपनियां क्रीमिका कंपनी की क्लाइंट हैं। 17 साल की उम्र में शादी करने के बाद उन्होंने पहले अपने परिवार की देखभाल की और फिर एक बिजनेसवुमन का फर्ज निभाया।

Rajni Bector Success Story : 300 रूपए उधार लेकर शुरू किया था काम, आज हैं सबसे बड़ी फूड कंपनी की फाउंडर, जानें पद्मश्री बिसनेस वुमन रजनी बेक्‍टर के संघर्ष की कहानी  | betulupdate

इस तरह हुई कंपनी की शुरूआत  

रजनी बैक्टर का कहना है कि बंटवारे के वक्त उनकी उम्र बहुत छोटी थी, लेकिन आज भी वो मंजर उनकी आंखों के सामने है। हर जगह लाशों के ढेर उन्हें भूलते नहीं हैं। उनके भाई और भाभी पाकिस्तान से बुर्का पहनकर भारत आए थे। रजनी बेक्टर बताती है वह घर में जो केक, कुकीज व आइसक्रीम बनाती थीं, उसे घर आने वाले अतिथि सराहते थे। 1970 के दशक में दिवाली मेले में रजनी ने फूड स्टॉल लगाया, जिसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला। इसके बाद उन्होंने 300 रुपए के कुकिंग उपकरण खरीदे और स्थानीय मेलों में शौकिया स्टॉल लगाने लगीं जो कमाई का स्रोत बन गए।

1978 में रजनी बेक्टर ने लुधियाना के जीटी रोड स्थित एक पुश्तैनी जगह पर 20 हजार रुपए की सीड केपिटल से आइसक्रीम और पुडिंग मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट स्थापित की। यह यूनिट बहुत जल्दी ब्रेड और बिस्किट भी बनाने लगीं। किचन से गैराज और फिर फूड फैक्टरी तक पहुंचीं रजनी बेक्टर आज क्रेमिका फूड्स प्रा. लि. और सहयोगी कंपनी मिसेज बेक्टर फूड्स स्पेशलिटीज का पति और तीनों पुत्र के सहयोग से संचालन कर रही हैं। आज वह फास्ट फूड इंडस्ट्री की सबसे बड़ी सप्लायर बन गई हैं।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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