
भारत भारती विद्यालय में परंपरागत खेलों के आयोजन से मनाया गया राष्ट्रीय खेल दिवस
बैतूल (Betul Update)। भारत भारती आवासीय विद्यालय में आज राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच परंपरागत खेलों (traditional games) का आयोजन किया गया। जिसमें गिल्ली डंडा, रस्सी कूद, चिया, रिप्पट, कंचे, गपनी, पिट्टू, गोटी, कबड्डी व खो-खो आदि खेल विद्यालय में खिलाये गये। इन खेलों में विद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं ने बड़े उत्साह से भाग लिया। साथ ही विद्यालय के सभी शिक्षकों ने भी इन खेलों का खूब आनन्द उठाया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी (Hockey magician Major Dhyanchand ji) के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। विद्यालय के खेल प्रभारी शिक्षक नीतेश राजपूत ने मेजर ध्यानचंद जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुये कहा गया कि मेजर ध्यानचंद एक महान खिलाड़ी के साथ ही सच्चे देश भक्त थे। उन्होंने खेल के साथ सेना में भी अपनी सेवाऐं दी और जर्मनी की तरफ से खेलने के हिटलर के आग्रह को नकार दिया और कहा कि मैं खेलूंगा तो केवल भारत के लिये ही खेलूंगा।
श्री राजपूत ने बताया कि मेजर ध्यानचन्द कहते थे कि मैं एक भारतीय हूँ । मेरे देश को पदक तालिका में सबसे आगे रखूं, ये मेरा सबसे पहला दायित्व है। मैं इसे हर कीमत पर निभाऊंगा। मेजर ध्यानचन्द ने सारा जीवन हॉकी की सेवा की। अपने अद्भुत खेल और राष्ट्रभक्ति के कारण ही वे आज भी हमारे प्रेरणास्रोत हैं। श्री राजपूत ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत भी पारंपरिक खेलों को शामिल किया जा रहा है। गिल्ली डंडा, रस्सी कूद, चिया, रिप्पट, कंचे, गपनी, पिटू, गोटी, कबड्डी व खो-खो आदि खेलों के लिए कोई विशेष संसाधनों और प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती।
ये खेल आज भी हमारे परिवेश के निकट प्रतीत होते हैं। गांव हो या शहर इस प्रकार के खेल खेलते बच्चे आज भी दिखाई दे जाते हैं। आज भारत विश्व ओलंपिक प्रतियोगिताओं के अनेक खेलों में अपना प्रतिनिधित्व कर रहा है। हम पदक तालिका में भी अपनी धाक समूचे विश्व के सामने रख रहे हैं। इसके साथ ही हमें हमारे इन पारंपरिक खेलों का भी प्रोत्साहन करना चाहिए। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य गोविंद कारपेंटर, वरिष्ठ आचार्य विवेक अंबाडे सहित और सभी छात्र-छात्राएँ और शिक्षक उपस्थित रहे।