MP News: ओबीसी में शामिल हो सकती हैं और 32 जाति-उपजातियां, आयोग कल करेगा सुनवाई

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MP News: ओबीसी में शामिल हो सकती हैं और 32 जाति-उपजातियां, आयोग कल करेगा सुनवाई

MP News: अन्य पिछड़ा वर्ग समूह में और 32 जाति और उपजातियों को शामिल किया जा सकता है। इस संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी तारतम्य में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 30 सितंबर को मध्यप्रदेश के दौरे पर आ रहा है। आयोग के सदस्य प्रात: 11 बजे मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, 2-बी राजीव गांधी भवन 35 श्यामला हिल्स के भोपाल स्थित कार्यालय में जनसुनवाई करेगें।

जनसुनवाई में आयोग केन्द्रीय सूची में जाति, उप जाति और वर्ग समूह को शामिल किये जाने के संबंध में सुनवाई करेगा। यह जाति, उपजाति और वर्ग समूह मध्यप्रदेश राज्य के लिए घोषित पिछड़ा वर्ग जाति/उपजाति/ वर्ग समूह में तो शामिल हैं, लेकिन केन्द्रीय सूची में शामिल नहीं हैं।

यही कारण है कि इन 32 जाति/उपजाति/ वर्ग समूह को केंद्रीय सूची में शामिल करने के लिए 30 सितंबर को यह जन-सुनवाई की जायेगी। इसमें संबंधित जातियों/उप जातियों/समुदायों के संघ एवं संगठन के प्रतिनिधि, व्यक्ति जो अपना मत अथवा पक्ष रखना चाहते हैं, वे उपस्थित हो सकते हैं।

मध्यप्रदेश राज्य के लिए घोषित पिछड़ा वर्ग जाति/उपजाति/ वर्ग समूह की जो 32 जाति/उप जाति/ वर्ग समूह केन्द्रीय सूची में छूटी हुई है उनमें निम्नलिखित शामिल हैं।

यह जाति-उपजाति केंद्रीय सूची में नहीं शामिल (MP News)

केंद्रीय सूची में जो जाति और उपजातियां शामिल नहीं हैं, उनमें लिंगायत, महाकुल (राउत), दवेज, थारवार, जनमालोधी, मनधाव, भोपा, मानभाव, डूकर, कोल्हाटी, दमामी, हरिदास, कोहरी, फूलमाली (फूलमारी), घड़वा, झारिया, कलार (जायसवाल), डडसेना, वोवरिया, लोढ़ा (तंवर), मोवार, रजवार, सुत सारथी, तेलंगा, तिलगा, गोलान, गौलान, गवलान, जादम, गयार/परधनिया, कुड़़मी, बया महरा/कौशल, वया, थोरिया, रूवाला/रूहेला और मुस्लिम धर्मावलम्बी के “अब्बासी” “सक्का”, खरादी कमलीगर, गोली, घोषी व गवली, संतरास, शेख मेहतर शामिल हैं।

अभी यह हो रहा नुकसान

केंद्रीय सूची में ओबीसी में शामिल नहीं होने से इन जाति/उपजाति के सदस्यों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज्य सूची में शामिल होने से राज्य स्तर पर तो आरक्षण और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिल जाता है। इसके विपरीत केंद्रीय स्तर पर न तो आरक्षण मिल पाता है और न ही योजनाओं का लाभ ही मिलता है। यदि यह जातियां केंद्र सूची में भी शामिल हो जाती हैं तो यह समस्या समाप्त हो जाएगी। उन्हें दोनों ही स्तरों पर समान लाभ मिल सकेगा।

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