Ban on bore mining: मध्य प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां पर गर्मी में पानी की भारी दिक्कत होती है। यही कारण है कि भूजल स्तर बनाए रखने के लिए इन जिलों में गर्मी शुरू होते ही निजी ट्यूबवेल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इससे होता यह है कि ताबड़तोड़ अंदाज में बोर खनन नहीं होते हैं और भूजल स्तर तेजी से कम नहीं होता है।
इस साल भी गर्मी के दस्तक देते ही बोर खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत बैतूल जिले से हुई है। यहां पर पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 एवं संशोधन अधिनियम 2002 की धारा-3 के अनुसार कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी ने जिले में निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध लागू किया गया है।
विशेष परिस्थिति में लेना होगा अनुमति
विशेष परिस्थिति में अनुमति उपरांत की निजी नलकूप खनित किये जा सकेंगे। शासकीय, पेयजल प्रयोजन हेतु नलकूप खनन में प्रतिबंध शिथिल होगा। कार्यपालन यंत्री पीएचई ने बताया कि सम्पूर्ण जिले में आज 04 मार्च से निजी नलकूप पर प्रतिबंध लागू किया गया है।
बिना अनुमति बोरिंग पर होगी कार्यवाही
यदि किसी व्यक्ति द्वारा बिना अनुमति के बोरिंग मशीन लगाकर नलकूप खनन अथवा अन्य कार्य किया जाता है, तो दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि प्रतिबंध होने के बावजूद कई लोग चोरी-छिपे बोर खनन का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही भी की जाती है।