Agniveer Bharti 2022: सेना में भर्ती होने गए दो सगे भाई, दौड़ के बाद हुए बेहोश, इलाज के दौरान दोनों ने तोड़ा दम, परिवार सदमे में

Agniveer Bharti 2022: सेना में भर्ती होने गए दो सगे भाई, दौड़ के बाद हुए बेहोश, इलाज के दौरान दोनों ने तोड़ा दम, परिवार सदमे में

Agniveer Bharti 2022: ऐसा दुखद संयोग आपने आज तक न देखा होगा और न सुना होगा। दो सगे भाई बीते कई सालों से सेना में भर्ती होने का सपना देख रहे थे। इसके लिए दोनों सालों से पसीना बाहकर तैयारी भी कर रहे थे। भोपाल में अग्निवीर भर्ती शुरू हुई तो दोनों सैनिक बनकर देश सेवा का जोश और जुनून लेकर उसमें शामिल भी हुए। वहां दौड़ हुई तो पूरी ताकत से दौड़े भी। लेकिन… इसके बाद जैसे किस्मत ने उनका साथ छोड़ दिया। दौड़ पूरी होते ही दोनों भाई बेहोश हो गए। दोनों का भरपूर इलाज कराया, लेकिन एक-एक कर दोनों ने दम तोड़ दिया। परिवार के दोनों चिरागों के एक साथ बुझ जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वहीं डॉक्टरों के लिए भी यह पूरा मामला एक पहेली बन गया है।

दिल को दहलाने वाला यह दुखद घटनाक्रम ग्राम दियामहू के कृषक प्रयागनाथ यादव और उनके परिवार के साथ घटा है। श्री यादव के दो बेटे रुपेंद्र और अंकित के अलावा एक बेटी मोनिका है। दोनों बेटों को सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का जुनून था। इसके लिए दोनों लंबे समय से तैयारी भी कर रहे थे। पिछले दिनों भोपाल में शुरू हुई अग्रिवीर भर्ती में शामिल होने भी दोनों भाई पहुंचे।

कक्षा 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद रूपेंद्र ने सेना में भर्ती होने के लिए आर्मी की कोचिंग शुरू कर दी थी। करीब 2 साल तक वह लगातार सेना में जाने के लिए तैयारियां करता रहा। भोपाल में सेना में भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षण और दौड़ प्रतियोगिता में रूपेद्र को शामिल होना था। 29 अक्टूबर को वह दौड़ में शामिल हुआ। लेकिन, दौड़ के बाद वह बेहोश होकर गिर पड़ा। उसे पहले भोपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से उसे परिजन बैतूल लेकर आ गए। यहां उसे बैतूल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान 5 दिन बाद उसने दम तोड़ दिया।

छोटे भाई के साथ भी वही घटनाक्रम

छोटा भाई अंकित भी सेना में भर्ती होने के लिए तैयारियां कर रहा था। वह सेकंड इयर का छात्र था। एनसीसी कैंप में रहकर वह सेना में जाने की तैयारियां कर रहा था। उसने आईटीआई की परीक्षा भी पास की थी। रूपेंद्र की 4 नवम्बर को मौत के पहले अंकित 3 नवंबर को भर्ती रैली में शामिल हुआ। उसी दिन दौड़ प्रतियोगिता के बाद उसकी भी वैसी ही तबीयत बिगड़ी जैसी बड़े भाई रूपेंद्र की बिगड़ी थी। परिजन उसे भी लेकर बैतूल पहुंचे, जहां से उसे नागपुर के एक निजी अस्पताल में रैफर कर दिया गया। नागपुर के एक निजी अस्पताल में 4 दिन तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करते हुए आखिर अंकित ने भी दम तोड़ दिया। दोनों भाइयों की एक एक कर एक जैसी ही परिस्थितियों में हुई मौत घर वालों के लिए पहेली बनी हुई है। वह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर दोनों भाइयों की एक जैसे हालातों में कैसे मौत हुई है।

अब परिवार में इकलौती बहन ही बची

दोनों भाइयों की मौत के बाद परिवार अब इकलौती बहन मोनिका ही घर में बची है। जिस समय रूपेंद्र और अंकित की मौत हुई, मोनिका जॉब के सिलसिले में हैदराबाद गई थी। उसे जैसे ही भाइयों की मौत का पता चला, वह बैतूल लौट आई। मोनिका ने बताया कि उसके दोनों भाई सेना में जाने के लिए बेहद लालायित रहते थे। यही वजह है कि वे दोनों दिन-रात सेना भर्ती के लिए मेहनत किया करते थे।

डॉक्टरों के भी लिए पहेली बना मामला

बैतूल के एक निजी अस्पताल में भर्ती किए गए रूपेंद्र का इलाज कर चुके विधायक और डॉक्टर योगेश पंडाग्रे ने बताया कि रूपेंद्र की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी। उसके लीवर में भी सूजन थी, और फेफड़ों में पानी भरने लगा था। दोनों को सिकलसेल एनीमिया की बीमारी थी। डॉ. पंडाग्रे के मुताबिक दोनों युवकों का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। जिसकी वजह से मौत की असली वजह सामने नहीं आ सकी है। उन्होंने आशंका जताई है कि दोनों भाई सेना में भर्ती होने के लिए संभवत कोई स्टैमिना बूस्टर दवा लेते होंगे। जिसके ओवर डोज की वजह से भी उनकी मौत हो सकती है। दूसरी वजह दौड़ के दौरान थकान और मसल्स डैमेज होना भी कारण हो सकता है। लेकिन वास्तविक कारण फिलहाल सामने नहीं आया है। इसके लिए उसके कुछ ब्लड सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजे गए हैं।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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