हजारों झिलमिलाते दीपों से जगमगा उठा बैतूल का माचना घाट
कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर बैतूल के विवेकानंद वार्ड में एनीकेट स्थित माचना घाट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। यहां 2100 दीपदान के साथ मां माचना जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर क्षेत्र के लगभग 500 लोगों द्वारा दीपक जलाकर अमृत रूपी जलधारा में प्रवाहित किए गए। झिलमिलाते दीपों से पूरा माचना घाट जगमग हो उठा। जल में अठखेलियां करती दीयों की रंग-बिरंगी रोशनी आकर्षण का केंद्र रही।
शुक्रवार को सूर्य अस्त होते ही लोगों का समूह माचना तट पर उमड़ पडा। लोगों ने दीपमालाओं से घाट के किनारों को सजाया। इस दौरान माचना घाट पर आतिशबाजी भी हुई। दीयों की झिलमिलाहट से आसमान के सितारे भी शरमाते नजर आए। इस अवसर पर मां माचना की आरती भी की गई। सभी ने मां माचना से पूजा अर्चना कर अपने परिवार व क्षेत्र के लोगों की सुख, समृद्धि, उन्नति, निरोगी व दीर्घायु जीवन के लिए आशीर्वाद मांगा। मां माचना के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया। नगर पालिका उपाध्यक्ष आनंद प्रजापति ने बताया कि मां माचना जयंती दीपदान महोत्सव वैदिक लोक परंपरा को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है ताकि नई पीढ़ी अपनी संस्कृति के धार्मिक सरोकार से परिचित हो सके। माचना पुनर्जीवन अभियान के तहत माचना घाट पर समिति साफ-सफाई के साथ ही वैदिक रीति-रिवाजों को आगे बढ़ा रही है। यह सराहनीय कार्य है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि माचना तट को साफ रखें और जल में कूड़ा न फेंके।
आयोजन में यह रहे प्रमुख रूप से मौजूद
इस अवसर पर अपर कलेक्टर अंशुमन राज, पूर्व सांसद एवं विधायक हेमंत खंडेलवाल, पर्यावरणविद मोहन नागर, नागरिक बैंक अध्यक्ष अतीत पवार, अरुण सिंह किलेदार, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय (पप्पी) शुक्ला, समाजसेवी निमिषा शुक्ला सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे। अपर कलेक्टर अंशुमन राज, पूर्व विधायक हेमंत खंडेलवाल ने नदियों के महत्व एवं माचना पुनर्जीवन अभियान की विस्तृत जानकारी दी। पर्यावरणविद मोहन नागर ने नदियों के संरक्षण एवं नदी में कूड़ा-कचरा ना फेंकने की समझाइश दी। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए नगर पालिका उपाध्यक्ष आनंद प्रजापति ने आभार व्यक्त किया।
दीपदान का यह है पौराणिक महत्व
पंडित संजीव तिवारी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी होती है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करना अति शुभ है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी नदी या सरोवर के किनारे जरूरी रूप से दीपदान करना चाहिए। यदि नदी या सरोवर पर जाना सम्भव नहीं है तो देवस्थान पर या किसी मंदिर में जाकर दीपदान करनी चाहिए। इससे देवता गण प्रसन्न होते हैं। दीपदान करने के घर में धन-धान्य, समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।