सारनी माइंस एफआईआर कांड: आखिर सच साबित हुए विधायक डागा
जिला मुख्यालय बैतूल के कांग्रेसी विधायक निलय डागा और बैतूल पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद के बीच मंगलवार को ज्ञापन के दौरान हुआ वाद-विवाद अब वायरल हो रहा है। इस विवाद में सारनी माइंस कांड की एफआईआर की टाइमिंग को लेकर आखिरकार विधायक सच साबित हो रहे हैं। अब लोगों का कहना है कि आखिर सारनी के कौनसे वो अधिकारी हैं, जिन्होंने एफआईआर के मामले में एसपी तक को गुमराह कर रखा था।
इस समूचे मामले को लेकर विधायक कार्यालय से वीडियो समेत जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 20 नवंबर की रात सारनी माइंस में 70 हथियारबंद लोगों ने हमला कर सुरक्षाकर्मियों को बंधक बनाया था और लूटपाट की थी। अपने कार्यकर्ताओं पर 52 दिन बाद एफआईआर के विरोध में ज्ञापन देने गए बैतूल विधायक निलय डागा ने सारनी माइंस का यह मामला भी जोरशोर से उठाया। विधायक ने कहा कि इतने बड़े मामले में भी तीन दिन बाद मामला दर्ज नहीं हुआ। इस पर एसपी सिमाला प्रसाद ने तुरंत जवाब दिया कि कल शाम को मामला दर्ज हो चुका है। विधायक ने फिर कहा कि कल यानी सोमवार रात तक मामला दर्ज नहीं हुआ था, लेकिन एसपी अपनी बात पर अडिग रहीं। इसके बाद जब पूरे मामले की तहकीकात विधायक श्री डागा द्वारा करवाई गई तो साफ हो गया कि बैतूल विधायक सही थे।
सोमवार दर्ज नहीं हुआ था चोरी का मामला
कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि सारनी थाने से मिली जानकारी के अनुसार 23 नवंबर यानी कल मंगलवार को सुबह 10.25 पर पाथाखेड़ा चौकी में धारा 457, 380 के तहत मामला दर्ज हुआ है। सूत्र तो ये भी कहते हैं कि मामला मंगलवार शाम को दर्ज हुआ, लेकिन टाइम सुबह का डाल दिया गया। स्पष्ट है कि विधायक के द्वारा मंगलवार को जब ज्ञापन करीब पौने चार बजे दिया तब उसके बाद ही मामला दर्ज करने के निर्देश एसपी कार्यालय से दिए गए।
विधायक डागा ने की एसपी से यह मांग
इधर विधायक निलय डागा ने एसपी सिमाला प्रसाद से उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने उनको धोखे में रखा। साथ ही चोरी की धाराओं के तहत दर्ज मामले में डकैती की धाराएं जोड़ने की मांग की।