संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के नियमितीकरण के लिए विधायक निलय डागा ने भरी हुंकार

  • उत्तम मालवीय, बैतूल © 9425003881
    साल 2018 में लागू संविदा नीति पर अमल करने और उसके तहत संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित करने की मांग कर्मचारी लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर विधायक निलय डागा ने विधानसभा सदन में प्रश्न लगाकर संविदा स्वास्थकर्मियों का नियमितीकरण व वेतन विसंगति का निराकरण सहित संविदा कर्मियों को 7 वें वेतनमान में निर्धारण कर इन्हें कब तक शासकीय सेवक का दर्जा देकर नियमित किया जाएगा, इसका जवाब लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी से मांगा था, लेकिन मंत्री ने विधायक के इन सवालों का संतुष्टि जनक जवाब नहीं दिया है। मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने विधायक द्वारा उठाए सवाल के जवाब में दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मचारियों को 7 वें वेतनमान निर्धारण के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है तथा नियमितीकरण का भी कोई प्रावधान नहीं है।
    स्वास्थ्य कर्मियों से वादाखिलाफी कर रही सरकार
    इस मामले में विधायक श्री डागा का कहना है कि भाजपा सरकार ने इन कर्मचारियों के साथ वादाखिलाफी की है। चुनाव के दौरान इनसे नियमितीकरण व वेतन विसंगति का निराकरण करने का वादा करने के बाद अब सरकार अब अपने वादे से मुकर रही है। उन्होंने कहा कि संविदा और नियमित कर्मचारी बराबर का काम करते हैं, बल्कि कई विभागों में तो संविदा कर्मी अतिरिक्त जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं फिर भी वेतन,भत्ते और सुविधा देने में भेदभाव किया जा रहा है। प्रदेश में कोरोना बीमारी की लड़ाई लड़ने वालों में संविदा स्वास्थ्यकर्मी की बड़ी भूमिका है पर ये नियमित नहीं हैं। इसलिए इन्हें नियमित कर्मचारी की तरह सुरक्षा, सुविधा और वेतन नहीं मिल रहा है। साथ में काम करने वाले नियमित अधिकारी, कर्मचारियों को अलग सुविधा मिल रही है और वहीं साथ में काम करने वाले संविदा कर्मियों को परेशान होना पड़ रहा है।
    योग्यता होने के बावजूद शासन कर रहा शोषण
    संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा नियमितीकरण की मांग को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन किया जा रहा है। संविदा अधिकारी-कर्मचारियों को किसी भी प्रकार के वेतन भत्ते, टीए, डीए, पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति आदि की पात्रता नहीं रहती है। सभी अधिकारी-कर्मचारी न्यूनतम वेतन पर कार्य कर रहे हैं, जिसके कारण उनके परिवारों का भरण पोषण सही तरीके से नहीं हो पाता है। योग्यता होने के बावजूद भी इन कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों की कमी होने के बावजूद संविदा कर्मियों के हितों को अनदेखा किया जा रहा है। शासन को शीघ्र ही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हित में निर्णय करना चाहिए। 
    विधायक का सवाल-शासकीय सेवक का दर्जा कब तक?
    अतारांकित प्रश्न क्रमांक 691 के अनुसार विधायक निलय विनोद डागा ने 14 दिसंबर को प्रेषित अपने प्रश्न में उल्लेख किया है कि क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले अंतर्गत सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता कब से कौन-कौन, किन-किन स्वास्थ्य केन्द्रों एवं चिकित्सालय में पदस्थ है ? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कार्यरत संविदा कर्मियों को 7 वें वेतनमान में निर्धारण कर इन्हें कब तक शासकीय सेवक का दर्जा देकर नियमित किया जावेगा? इस संबंध में शासन की कोई योजना हो तो नियमावली उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार कार्यरत् संविदा कर्मियों के मृत्यु उपरांत परिवार के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति व स्वत्वों का भुगतान दिए जाने का प्रावधान है ? यदि हां तो नियमावली उपलब्ध करावें । यदि नही तो क्यों नहीं ? (घ) बैतूल जिले के नियमित स्वास्थ्य कर्मी (फार्मासिस्ट, एएनएम, एमपीडब्ल्यू, एलएचव्ही, एमपीएस, खण्ड विस्तार प्रशिक्षक को 5 वें वेतनमान की विसंगति का लाभ ब्रम्ह स्वरूप समिति के आधार पर तथा संशोधित समयमान वेतनमान का पुनर्निर्धारण की कार्यवाही की जा रही है? यदि हां तो निर्धारण की जानकारी उपलब्ध करावें। यदि नहीं तो वेतन निर्धारण की कार्यवाही कब तक कर दी जावेगी?
    स्वास्थ्य मंत्री का जवाब-कोई प्रावधान नहीं…
    लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी प्रश्न ” क ” की जानकारी परिशिष्ट ” अ ” पर सलग्न है। (ख) प्रश्न ” क ” अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मचारियों को 7 वें वेतनमान निर्धारण के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है तथा नियमितीकरण का भी कोई प्रावधान नहीं है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में इस संबंध में कोई योजना नहीं है। (ग) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मियों की आकस्मिक मृत्यु होने पर वर्तमान में 6 माह के गारिक मानदेय के समतुल्य धन राशि या रू. 2,00,000 रुपये जो भी कम हो, का अनुग्रह भुगतान नामांकित व्यक्ति को दिया जाता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मियों की मृत्यु उपरांत परिवार के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। अपितु सामान्य प्रशासन विभाग म.प्र.के पत्र क्रमांक/सी-3-12/2013/1/3 भोपाल दिनांक 28.05.2021 “मुख्यमंत्री कोविड 19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना” अंतर्गत संविदा कर्मी की कोविड संक्रमण से मृत्यु होने पर योजना अंतर्गत उल्लेखित अवधि एवं प्रावधान अनुसार अनुकम्पा की नियुक्ति की पात्रता है। नियमावली संलग्न परिशिष्ट “व” पर है। (घ) कर्मचारी संघ की मांग पर समस्त एएनएम एमपीडब्ल्यूवी, खण्ड विस्तार प्रशिक्षक की वेतन विसंगति एवं ब्रम्हस्वरूप समिति की अनुशंसा अनुरूप लाभ दिये जाने के संबंध में समिति गठित कर शासन नियमों के अनुसार परीक्षण कराया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

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