संक्रांति पर ताप्ती स्नान से मिलता है गंगा सागर स्नान का पुण्य
मकर संक्रांति पर्व पर प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पवित्र नदियों में स्नान दान का बड़ा महत्व है। नदियों में अगर सूर्यपुत्री मां ताप्ती में मकर संक्रांति स्नान की बात की जाएं तो इसका पुण्य फल गंगा सागर स्नान से कम नहीं है।
पंडित सुनील कुमार व्यास और पंडित राजेश दुबे बताते हैं की मकर संक्रांति के दिन माघ मकर गति रवि जब हो ही तापी तट आवहि सब कोई। मकर संक्रांति के दिन जब भगवान आदित्य नंदन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं तब पृथ्वी लोक में जल रूप में बह रही सूर्य नंदिनी ताप्ती जी की ओर भगवान अदिति नंदन सूर्यदेव ने कुछ पल रुककर देखा।
यह स्थान पृथ्वी पर बारालिंग से 6 किलोमीटर दूर अगिनतोड़ा नामक स्थान पर है। यहां देवी ताप्ती की जल धारा पूर्वमुख है। यहां ताप्ती नदी पहाड़ी से टकराकर पूर्व की ओर गतिमान है। यहां मकर संक्रांति स्नान का वही महत्व है जो गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम के दर्शन का है। वैसे भी मां ताप्ती सूर्यवंश की है।