बंद होने वाला था स्कूल, शिक्षक ने दिला दिए उत्कृष्टता अवार्ड
बैतूल जिले के आमला ब्लॉक की शासकीय प्राथमिक शाला समरतढाना एक समय बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी थी, लेकिन एक शिक्षक ने अपनी जिद और जुनून से कुछ ही सालों में उस स्कूल का ऐसा कायाकल्प कर डाला कि अब उसे लगातार उत्कृष्टता अवार्ड मिल रहे हैं। पूर्व में जहां दो बार स्कूल को स्वर्ण पदक चैंपियन से नवाजा जा चुका है वहीं अब इस स्कूल की सस्सेस स्टोरी का राष्ट्रीय स्तर के लिए चयन हुआ है।
पिछले दिनों नीपा के अंतर्गत एनसीएसएल (नेशनल काउंसिल फॉर स्कूल लीडरशिप) दिल्ली के मार्गदर्शन में तैयार की गई शासकीय प्राथमिक शाला समरत ढाना (आमला) की सक्सेस स्टोरी शाला की बदलती तस्वीर का राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल में शाला प्रभारी गणेश बारस्कर के द्वारा आकर्षक प्रस्तुतीकरण किया गया। इस स्टोरी को नीपा एनसीएसएल दिल्ली द्वारा चयनित किया गया है। इसका प्रस्तुतिकरण अब राष्ट्रीय स्तर पर होगा। उल्लेखनीय है कि गणेश बारस्कर अपनी 33 वर्षों की अनवरत शासकीय सेवा में छात्रावास अधीक्षक एवं सीएसी जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय तक कार्य करने के पश्चात विगत 5 वर्षों से प्राथमिक शाला समरतढाना में कार्यरत हैं।
इस 5 वर्ष की अवधि में उन्होंने अपने अनुभवों का लाभ लेकर न केवल स्कूल का कायाकल्प किया, बल्कि शाला में एक से बढ़कर एक बेहतरीन कार्य कर शासकीय शाला को एक उत्कृष्ट शाला के रूप में परिवर्तित कर दिया। यह एक मिसाल है कि व्यक्ति चाह ले तो उसके लिए कोई काम असंभव नहीं होता। उन्होंने इस छोटे से स्कूल में अपने कार्यकाल के दौरान बाउंड्रीवाल का निर्माण करवाकर बेहतरीन बगिया का निर्माण किया, जिससे शाला बहुत ही हरी-भरी और आकर्षक हो गई।
उन्होंने बच्चों को बैठने के लिए बेंच-डेस्क की व्यवस्था की। शाला के रसोई घर में प्लेटफॉर्म पर गैस चूल्हे के माध्यम से खाना पकाया जाता है। यहां के बच्चे आकर्षक गणवेश, टाई-बेल्ट एवं जूते-मौजे पहनकर स्वच्छता के साथ शाला आते हैं। बच्चों की पढ़ाई का स्तर भी बहुत उच्च दर्जे का है जिसके कारण राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा शाला को पिछले वर्षों में दो बार स्वर्ण पदक चैंपियन से नवाजा जा चुका है।
यहां पर बच्चों के द्वारा हाथ धुलाई हेतु वाश बेसिन एवं नल का उपयोग किया जाता है। नल कनेक्शन ग्राम के ही एक किसान के द्वारा नि:शुल्क प्रदान किया गया है। बच्चों को खेलने के लिए विभिन्न खेल सुविधाएं एवं पुस्तकालय भी शाला में उपलब्ध हैं। शाला में ही विभिन्न सब्जियों का उत्पादन भी किया जाता है। बच्चों के द्वारा शाला में ईमानदारी की एक दुकान भी संचालित है, जिसमें कॉपियां, पेन, पेंसिल, रबर, कटर आदि हमेशा उपलब्ध होती है। शाला में पदस्थ दोनों शिक्षकों, जनशिक्षक एवं जनशिक्षा केंद्र प्रभारी के द्वारा एक टीवी शाला को भेंट स्वरूप प्रदान की गई है, जिसे बिजली कनेक्शन मिलने के पश्चात प्रारंभ किया जाना है।
इन पांच वर्षों में शाला के नामांकन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस शाला में अध्ययनरत 54 बच्चों में से 40 बच्चे अन्य गावों से यहां पढ़ने आते हैं। इस प्रकार यह शाला शासकीय शालाओं में एक मिसाल के रूप में उभरकर सामने आई है। यह सब बहुमुखी प्रतिभा के धनी शाला प्रभारी गणेश बारस्कर एवं उनके सहयोगी प्रह्लाद सिंह परमार के अथक प्रयासों एवं कठिन परिश्रम से ही संभव हो पाया है।