प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा में गूंजे कीर्तन, बरसी अमृतमयी वाणी
सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज का 355 वां प्रकाश पूरब गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा बैतूल में बड़ी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज को सरबंसदानी अमृत के दाते दशमेश पिता भी कहा जाता है। प्रकाश पूरब को लेकर खासा उत्साह था। आयोजन की पिछले कई दिनों से तैयारी चल रही थी।
आयोजन में दिल्ली से विशेष तौर पर पधारे संत के महान कीर्तनिये भाई जगजीत सिंह बबीहा ने संगत को अमृतमयी वाणी से निहाल किया। सुबह से ही गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में श्रद्धालुओं का तांता लग गया था। सुबह 11 बजे से 1 बजे तक कीर्तन दीवान सजाए गए। उसके उपरांत गुरु घर के वजीर भाई किशन सिंह द्वारा सरबत के भले के लिए अरदास की गई। इसके बाद गुरु का लंगर अटूट वरताया गया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा समूह संगत को गुरु गोविंद सिंह महाराज के प्रकाश पूरब की बधाई दी गई।
मुलताई में भी श्रद्धाभाव से मनाया गया प्रकाश पर्व
सवा लाख से एक लड़ाने वाले महान योद्धा गुरू गोबिंद सिंह साहिब जी का प्रकाश उत्सव मुलताई सिख समुदाय ने हर्षोल्लास से मनाया। एडवोकेट डॉ. हरप्रीत कौर खुराना ने बताया कि खालसा पंथ के संस्थापक साहिबे-ए-कमाल गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी का प्रकाशोत्सव ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब श्री गुरु नानक दरबार मुलताई में आज संगत ने हर्षोल्लास से मनाया। गुरुद्वारा साहिब में 12 बजे गुरु ग्रंथ साहिब जी के सहज पाठ की समाप्ति, कीर्तन, अरदास उपरांत गुरु का लंगर अटूट वारताया गया (वितरित किया गया)। इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब में स्थानीय संगत ने स्वमेव कोरोना नियमों का पालन किया।