दादी ने 9 साल के पोते को सरिए से दागा: बने जख्म, हुआ इंफेक्शन


उत्तम मालवीय (9425003881)
बैतूल। संसाधनों का अभाव और जागरूकता की कमी से कभी-कभी दर्द से निजात दिलाने के लिए भी ऐसे साधन इस्तेमाल कर लिए जाते हैं, जिनसे दर्द कम तो नहीं होता बल्कि मर्ज और बढ़ जाता है। आदिवासी बहुल भीमपुर ब्लॉक के खैरा गांव के 9 साल के मासूम आयुष के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। किराने का सामान लाते समय गिर जाने से आए फ्रेक्चर का असहनीय दर्द तो वह झेल ही रहा था, इससे मुक्ति दिलाने देशी इलाज के रूप में उसे शरीर पर जगह-जगह दाग भी दिया गया। इससे उसका न केवल दर्द बढ़ गया बल्कि शरीर में जख्म होने के साथ इंफेक्शन भी फैल गया है।
आयुष गुरुवार को किराना सामान लेने गांव में ही दुकान पर गया था। सामान लाते समय वह रास्ते में कहीं गिर गया। इससे उसके कंधे और पसलियों में चोट आई थी। भीमपुर से 40 किलोमीटर दूर होने, आसपास कहीं इलाज की सुविधा नहीं होने और ऐसे मामलों में ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के लिए अमूमन अपनाया जाने वाला दागने का तरीका परिवार के सदस्यों ने भी सामान्य रूप से अपना लिया। आयुष की दादी ने फसल काटने वाले सरिए को लाल होने तक गर्म किया और उससे आयुष को कंधे, हाथ और पसलियों पर कई जगह दाग दिया। इसके बावजूद आयुष को न दर्द से मुक्ति मिली और न ही हालत में सुधार हुआ बल्कि दागने से उसके शरीर पर जलने के निशान बन गए और दर्द भी खासा बढ़ गया। यह देख कर उसकी मां रामोती बारस्कर उसे भीमपुर अस्पताल लाई। बच्चे की गम्भीर हालत देख कर वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया है। यहां एक्स-रे कराने पर उसके शरीर में फ्रेक्चर निकला है। डॉक्टरों के अनुसार जलने से शरीर पर जख्म भी बन गए हैं और संक्रमण भी फैल गया है। उसका उपचार शुरू कर दिया गया है। गौरतलब है कि जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इलाज के लिए आज भी शरीर को दागने की परंपरा आम है। ऐसे में कई बार ऐसी स्थिति बिगड़ भी जाती है।

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