अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल ने 15 वर्षीय नाबालिग बालिका को बहला फुसलाकर व्यपहरण कर बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी को धारा 376 (3) भादंवि के अपराध का दोषी पाते हुए 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5000 रुपये का जुर्माना, धारा 376 (2) (एन) भादंवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 500 रुपये का जुर्माना, धारा 376 (2) (जे) भादंवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 500 रुपये का जुर्माना, धारा 366 भादंवि में 7 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000 रुपये का जुर्माना, धारा 363 भादंवि में 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 500 रुपये के जुर्माने, धारा 342 भादंवि 1 वर्ष का कठोर कारावास एवं 500 रुपये कुल 8000 रुपये के जुर्माने से दण्डित किया है।
प्रकरण में मध्यप्रदेश शासन की ओर से अनन्य विशेष लोक अभियोजक ओमप्रकाश सूर्यवंशी एवं वरिष्ठ एडीपीओ अमित कुमार राय के द्वारा पैरवी की गई। प्रकरण की पैरवी में एडीपीओ सौरभ सिंह ठाकुर एवं अजीत सिंह द्वारा सहयोग प्रदान किया गया।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस तरह है कि 3 जून 2019 को थाना बीजादेही में पीड़िता ने इस आशय कि प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 2 जून 2019 को रात्रि में वह अपने घर के आंगन में उसकी मां के बाजू वाली खटिया में अलग सो रही थी। रात्रि लगभग 4 बजे आरोपी रामाधार पिता रामविलास विश्वकर्मा (19) निवासी ग्राम खरवार जिला बैतूल अपने हाथ में चाकू लिया आया और उसे जगा कर बोला कि जल्दी उठकर उसके साथ चल। यदि वह नहीं चलेगी तो वह उसे जान से मार देगा। इससे पीड़िता घबरा गई। आरोपी ने उसका मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया और उसे उठाकर कुछ दूर तक ले गया।
उसके बाद आरोपी उसे पैदल गांव के पास पहाड़ी पर ले गया। जहां पर एक टपरी में ले जाकर पीड़िता को एक दिन और एक रात रखा और उसके साथ 2-3 बार बलात्कार किया। आरोपी ने पीड़िता से बोला कि वह उसके साथ शादी करेगा और उसे रोककर रखा। उसे कहीं जाने नहीं दिया। 3 जून 2019 को सुबह 9 बजे आरोपी नाश्ता लेने गया था। तब पीड़िता अपने आपको छिपते-छिपाते, घबराते हुए अपने घर पहुंची और उसकी मां को उसकी साथ घटी घटना के बारे में बताया।
पीड़िता की शिकायत के आधार पर पुलिस थाना बीजादेही में आरोपी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया। आवश्यक अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र अनन्य विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट बैतूल के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत कर अपने मामले को युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया गया। जिसके फलस्वरूप न्यायालय ने आरोपी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया गया।
प्रति परीक्षण में पीड़िता ने घटना से किया इंकार
प्रकरण की पीड़िता ने न्यायालय में अपने मुख्य परीक्षण में घटना का पूर्ण समर्थन किया परंतु मुख्य परीक्षण के लगभग 3-4 माह बाद हुए प्रति परीक्षण में घटना से पूर्णत: इंकार किया। इसके बावजूद न्यायालय ने पीड़िता के मुख्य परीक्षण में दिए कथनों को सही एवं विश्वसनीय मानते हुए आरोपी को दंडित किया। अभियोजन अधिकारी द्वारा अपने अंतिम तर्क में न्यायालय को यह बताया गया कि हो सकता है पीडिता एवं आरोपी पक्ष का न्यायालय के बाहर राजीनामा हो गया हो जिसके कारण पीड़िता ने प्रति परीक्षण में घटना से इंकार किया है परंतु मुख्य परीक्षण में वास्तविक घटना बताया है। जिससे न्यायालय ने सहमत होते हुए आरोपी को दंडित किया।