गरजे विधायक डागा: कार्यकर्ताओं पर नहीं बल्कि मुझ पर करों मामला दर्ज
किसी ओर के लिए कार्यकर्ता सिर्फ कार्यकर्ता होंगे, लेकिन मेरे लिए वे मेरे परिवार से बढ़कर हैं। पुलिस को यदि किसी के खिलाफ राजनीतिक रूप से मामले दर्ज करना है तो वह मेरे खिलाफ करें, लेकिन यदि पूरे बैतूल जिले में यदि किसी भी कार्यकर्ता को पुलिस भाजपा के इशारे पर परेशान करती है तो वह स्वयं सड़क से लेकर विधानसभा तक हडकंप मचा देंगे। आज ये चुनौतीपूर्ण हुंकार भरी बैतूल विधानसभा के कांग्रेसी विधायक निलय डागा ने।
गौरतलब है कि चार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ 19 नवंबर को गंज थाने में सरकारी काम में बाधा का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले का आधार 52 दिन पुरानी जेएच कालेज की उस घटना को बनाया गया था जिसमें विधायक के नेतृत्व में कालेज में प्रदर्शन कर सांकेतिक तालाबंदी की गई थी। इस मुद्दे को लेकर आज बैतूल विधायक निलय डागा और जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुनील शर्मा गुड्डू के नेतृत्व में ज्ञापन-प्रदर्शन का दौर चला। इसमें सबसे पहले करीब 3 बजे कलेक्टर अमनबीर सिंह को ज्ञापन देकर बैतूल पुलिस की इकतरफा कार्रवाई की शिकायत की गई। इसके बाद एसपी सिमाला प्रसाद को ज्ञापन देकर निष्पक्ष जांच की मांग की गई। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीते दिनों हाइवे पर बैठे किसानों के मामले में इसे ‘अधिकारों के लिए आंदोलन’ को ‘फ्रीडम आफ स्पीच’ मानते हुए किसी तरह की कानूनी से इन्कार कर दिया था। यही कारण है कि केन्द्रीय राजधानी जाने वाली रोड को भी महीनों तक रोकने के बावजूद एक भी एफआईआर किसी के खिलाफ नहीं हुई, लेकिन बैतूल की जनता के लिए यह दुखद है कि वो अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन भी नहीं कर सकती। बैतूल की जनता के ही चुने गए विधायक का पहले अपमान होता है और फिर जब उसका सांकेतिक विरोध किया जाता है तो पुलिस मामला दर्ज करती है।
पुलिस 52 दिन किस नेता के इशारे का इंतजार करती रही?
ज्ञापन के अनुसार 29 सितंबर की घटना के बाद यदि कुछ गलत हुआ था तो पुलिस 52 दिन किस नेता के इशारे का इंतजार करती रही। ज्ञापन में कहा कि कालेज प्रशासन या किसी छात्र-छात्रा ने पुलिस को अपनी ओर से कोई शिकायत नहीं की। पुलिस ने जिस शिकायत को आधार बनाया उस छात्र की काल डिटेल से स्पष्ट हो जाएगा कि किस पुलिस अधिकारी ने उसको क्या बताया और किस नेता या एक व्यक्ति ने उससे क्या लिखवाया।
विधायक का प्रदर्शन सरकारी काम में बाधा कैसे..?
ज्ञापन में सवाल उठाया कि जेएच कालेज की प्राचार्य पर दबाव और उनके दिए बयान को किसने बदलवाया। विधायक लोकतंत्र का अहम स्तंभ है और उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन सरकारी काम में बाधा कैसे बना जबकि बीते कई दशकों से वहां ऐसे आंदोलन होते रहे हैं। क्या यह पुलिस विवेचना का सही तरीका है कि किसी मामले में 52 दिन बाद एफआईआर दर्ज की जाए।
संतुलन बिठाने अधिकारों का दुरुपयोग तो नहीं
क्या यह स्पष्ट नहीं है कि जिस दिन भाजपा के मंडल अध्यक्ष पर कोर्ट के आदेश से पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा ठीक उसी दिन उसी समय पुलिस ने हमारे कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया। क्या पुलिस किसी को खुश करने या कोई बैलेंस के लिए अपनी पवित्र वर्दी या पवित्र कानून का दुरुपयोग कर रही थी। इस मामले में पहले 353 नहीं जोड़ी जा रही थी लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पास किसी भाजपा नेता का फोन आने पर यह धारा बढ़ाई गई।
कोर्ट के आदेश भी एक सप्ताह तक टाले गए
ज्ञापन में कहा गया है कि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा मंडल अध्यक्ष के खिलाफ पहले तो पुलिस ने विधायक की शिकायत पर मामला दर्ज नहीं किया और फिर जब कोर्ट ने आदेश दिया तो भी एक सप्ताह से अधिक समय तक टाला-मटोली की। पुलिस और सरकारी सेवा के आदर्श आचरण अधिनियम के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी का यह पक्षपातपूर्ण रवैया अनुचित है। प्रदर्शनकारी युवाओं पर 353 सरीखी धाराएं लगाकर बैतूल पुलिस आखिर इन लोगों को जबरन क्यों अपराधियों के बीच धकेलना चाहती है। सामुदायिक पुलिसिंग की बात करने वाली पुलिस ‘अंग्रेजों के समय की पुलिस’ कैसे बन गई।
ज्ञापन में यह की गई हैं मांगें
ज्ञापन में मांग की गई कि हम सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और बैतूल की आम जनता का बैतूल पुलिस अधीक्षक से विनम्र निवेदन है कि वे पूरे मामले की पुन: जांच का आदेश दें और युवाओं पर लगाई गई धाराएं हटाकर एफआईआर निरस्त करें। ज्ञापन की प्रतिलिपि विधानसभा अध्यक्ष, गृहमंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक नर्मदापुरम को भी भेजी गई है।