खास खबर: बैतूल के इन शेरों के मुंह लगा है ‘हरा खून’

  • उत्तम मालवीय (9425003881)
    बैतूल।
    बैतूल में कुछ दुर्लभ प्रजाति के शेर हैं, जिन्हें केवल हरा खून पसंद हैं। यह हरा खून नहीं मिलने पर वे तड़प उठते हैं, बेताब हो जाते हैं, व्यग्र हो उठते हैं और कई बार तो दहाड़ने तक लगते हैं, उनके कलेजे को ठंडक तभी मिलती है, जब उन्हें हरा खून मिल जाए…! जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। हम बात कर रहे हैं बैतूल की संस्था ‘ग्रीन टाइगर्स’ से जुड़े जागरूक व पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरे जोश, जुनून, समर्पण और मुस्तैदी से जुटे युवाओं की जिन्हें केवल हरियाली रूपी हरा खून ही पसंद है। उन्हें जहां भी यह हरियाली नजर नहीं आती, उस क्षेत्र को हरा-भरा बनाने वे पूरी शिद्दत के साथ जुट जाते हैं। इसके बाद तभी चैन की सांस लेते हैं, जब वह इलाका हरा-भरा हो जाए। पर्यावरण के प्रति सच्चे समर्पण की इन समर्पित युवाओं ने न केवल जिले में बल्कि पूरे प्रदेश और देश भर में एक मिसाल पेश की है। यही कारण है कि जो भी इनके बारे में जानता है वह इनकी वाहवाही किए बगैर नहीं रह पाता।
    प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस जिले में सदैव ही विकास के नाम पर प्रकृति का दोहन ही हुआ है। ऐसे में ग्रीन टाइगर्स द्वारा पिछले 3 वर्षों से लगातार प्रकृति, पर्यावरण और जल को संजो कर प्राकृतिक संपदा को बचाने का कार्य किया जा रहा है। फरवरी-मार्च 2019 में वरिष्ठ खिलाड़ी तरुण वैद्य के नेतृत्व में क्रिकेट-फुटबाल खिलाड़ियों के समूह ने सुबह खेल के बाद बैतूल के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में 500 पौधे लगाने और उन्हें पालने के लक्ष्य के साथ इस संस्था की शुरुआत की थी। ग्रीन टाइगर्स ने लगातार बढ़ते तापमान को रोकना, ग्लोबल वार्मिंग को संतुलित करने का प्रयास, शहरी क्षेत्रों में 2017 में हो रही पेयजल की किल्लत को दूर करना और आमजन में पेड़ पौधों ओर जल की सुरक्षा के लिए जनजागृति लाना अपने लक्ष्य तय किए थे। इसके बाद कलेक्टोरेट भवन से प्रारंभ कर स्टेडियम और ओपन ऑडिटोरियम के आसपास सड़क के किनारे लगभग 770 पौधे लगाए। धीरे-धीरे कारवां बढ़ता रहा और सभी वर्ग के युवा व्यापारी, शिक्षक, डॉक्टर्स, कांट्रेक्टर, स्टूडेंट्स, सीए, जनप्रतिनिधि संगठन से जुड़ते गए। दूसरी ओर लगाए जाने वाले पौधों की संख्या भी बढ़ती रही और आज एक लाख पौधों की संख्या की ओर संस्था अग्रसर है।

    ● ग्रीन टाइगर्स के जोश और जुनून की यहां देखें कुछ और तस्वीरें…

    अभी तक लगा चुके हैं 86500 पौधे
    ग्रीन टाइगर्स ने अकेले बैतूल शहर में ही 25 हजार पौधे लगा दिए हैं। शहर के एमएलबी स्कूल, कन्या शाला गंज, जेल कैम्पस, साईं आशियाना, सुयोग कॉलोनी, हमलापुर कॉलोनी, जेएच और गर्ल्स कॉलेज, पीडब्ल्यूडी कैम्पस, अवस्थी बिल्डिंग के पीछे कॉलोनी में फलदार पौधे केवल इसलिए लगाए कि पढ़ने वाले बच्चों और रहवासियों को फल मिल सके। सोनाघाटी नाका चक्कर रोड से हमलापुर तक नई रोड बनी तो सारे आम के पौधे बर्बाद हो चुके थे। उस रोड पर दोबारा हरियाली लाने आम और गुलहर के सैकड़ों पौधे लगाए। आयुर्वेदिक हॉस्पिटल टिकारी में खाली पड़ी भूमि में औषधीय पौधों की श्रृंखला ही इन युवाओं ने बना दी, जिनमें से 3 सैकड़ा पौधे जीवित हैं। शहर का ऐसा एक भी क्षेत्र नहीं है जिसमें फूलदार, फलदार, छायादार, औषधीय, गुणकारी और समाज के हितार्थ व सहयोगी पौधे न लगे हो। आज शहरी क्षेत्र लगभग 25 हजार पौधों की हरियाली से आच्छादित है। संस्था द्वारा अभी तक 86500 पौधे लगाए जा चुके हैं।

    गांवों तक पहुंचा ग्रीन टाइगर्स का अभियान
    ग्रीन टाइगर्स केवल शहर को ही नहीं बल्कि ग्रामीण अंचलों को भी हरा भरा बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। जिले के मलकापुर, लाखापुर, सेलगांव, ढोण्डवाडा, भडूस, कोसमी, टेमनी, पांगरा, सरण्डई, ससुन्दरा, अर्जुनगोंदी, कल्याणपुर, नयेगांव, केरपानी, बरहापुर, चिचढाना, भयावाडी, बयावाड़ी, बाबई, बैतूल बाजार सहित अन्य ग्रामों में किसानों को फलदार, छायादार पौधे निःशुल्क देकर उनकी आमदनी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हरित ग्राम अभियान में हजारों पौधे लगाए गए जिनमें से 23500 फलदार पौधे अभी जीवित हैं। जिले की सड़कों को छायादार बनाने के लिए हजारों पौधे रोड किनारे लगाकर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है।

    शिवराज और नमो वाटिका का निर्माण
    अच्छे स्वास्थ्य और शुद्व पर्यावरण के लिए संस्था द्वारा नराग्र वाटिका का निर्माण किया गया है। इनमें मानव शरीर और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद सैकड़ों पौधे लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन पर बेलपत्र (बिल्व वृक्ष) का पौधा लगाकर “शिवराज वाटिका” के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया, जिसमें अभी तक विभिन्न प्रकार के 3600 पौधे जीवित हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर पिछले 2 वर्षों में 2100 पौधों को रोपित कर उन्हें पाल पोषकर “नमो वाटिका” का निर्माण किया गया है। गर्मी के दिनों में सरकारी नलों से व्यर्थ बहने वाले पानी को रोकने के लिए 700 नल, टोटी, वाल लगाए हैं।

    देखते ही बनता है टाइगर्स का जोश और जुनून
    संस्था से जुड़े युवाओं का पर्यावरण के प्रति प्रेम, जोश और जुनून देखते ही बनता है। तड़के ही उठकर यह युवा फील्ड में पहुंच जाते हैं और बिना किसी पारिश्रमिक और स्वार्थ के पौधों को पानी देने, आसपास उगी खरपतवार साफ करने, ट्री गार्ड को सुधारने सहित अन्य कार्यों में घण्टों तक जुटे रहते हैं। ठंडी, गर्मी, बारिश चाहे कोई मौसम हो, इनकी सुबह इन पौधों के आगोश में ही होती है। कई विघ्न संतोषी इनकी मेहनत पर पानी फेरने में भी पीछे नहीं रहते हैं और कभी पौधे उखाड़ डालते हैं तो कभी ट्री गार्ड चुरा ले जाते हैं या तोड़ देते हैं। आधी रात को भी इसकी सूचना मिलती हैं तो समय की परवाह किए बगैर यह युवा मौके पर पहुंचते हैं और पौधों व ट्री गार्ड को व्यवस्थित करते हैं। यही कारण है कि 25 से 30 स्वयंसेवी युवाओं द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में इन्हें जिले के हर वर्ग ने भी दिल खोलकर सराहा है।

    पौधरोपण के अलावा इन कार्यों पर भी फोकस
    जल सरंक्षण की दिशा में संस्था द्वारा शहरी क्षेत्र में 114 वाटर परकोलेशन टैंकों का निर्माण कर भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया गया है। ताप्ती नदी के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष कार्तिक माह के दिनों में कई टन कचरा जमा कर 25 किमी. दूर जिला मुख्यालय लाया जाता है ताकि पॉलीथिन रूपी जहर पुनः नदी में न बहे। बैतूल शहर की जिले की लाइफ लाइन माचना नदी के पुनर्जीवन के लिए हजारों पौधों का रोपण मलकापुर से करबला घाट तक नदी के किनारों पर किया गया है ।

    ग्रीन टाइगर्स के नेतृत्वकर्ता तरुण वैद्य

    दोने-पत्तल बनवाकर दे रहे ग्रामीणों को रोजगार
    संस्था द्वारा लाखों की संख्या में हरे पत्ते के दोने-पत्तल आदिवासी समुदाय के ग्राम बोडी, बघवाड़, सोमवारी पेठ एवं आमला ब्लॉक के गांवों से बनवाकर उन्हें ग्रामीणों को रोजगार दिया जा रहा है वहीं शहर को प्लास्टिक, पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए प्रयास किए गए हैं। वर्षा ऋतु जल संग्रहण के लिए बड़े और छोटे तालाबों का निर्माण किया गया है।

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