ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और यह प्रतिभाएं कई बार ऐसे काम कर जाती है, जिन पर सहज ही विश्वास नहीं होता। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम छुरी के एक किसान के बेटे ने भी ऐसा ही कुछ चमत्कार कर दिया है। खेत दूर होने और बाइक से आने-जाने में पेट्रोल का खर्च अधिक होने पर ग्रामीण युवा ने कबाड़ के जुगाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक बना डाली। इसमें खर्च भी नई बाइक के मुकाबले बेहद कम आया।

छुरी निवासी अविनाश पिता ओमकार वर्मा ने वीवीएम कॉलेज बैतूल से बीएससी की पढ़ाई की है और फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। अविनाश के पिता ओमकार खेती करते हैं। इसलिए अविनाश खेती में भी सहयोग करते हैं। अविनाश बताते हैं कि घर से खेत काफी दूर है और इसके चलते खेत आने-जाने में पेट्रोल पर काफी अधिक खर्च हो जाता था। इस बीच इलेक्ट्रिक वाहनों के जोरदार हल्ले के बीच मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी एक इलेक्ट्रिक बाइक बना लूं। इसी इरादे के साथ मैंने एक कबाड़ी से 3 हजार रुपये में कबाड़ हो चुकी एक पुरानी बॉक्सर मोटर साइकिल लाई और एक मोटर बुलवाई। इसे बॉक्सर बाइक में लगा कर पहले ट्रैक्टर की बैटरी से चला कर देखी, लेकिन गाड़ी का एवरेज नहीं निकला। इसे देखते हुए जबलपुर से बैटरी बनाने के लिए सेल लाए और पर ही लिथियम बैटरी बनाई। इसे लगाकर देखने पर एवरेज भी ठीक आया और यह प्रयोग सफल रहा।
महज 20 दिन में तैयार हुई इलेक्ट्रिक बाइक
अविनाश बताते हैं कि जुगाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक बनाने में 20 दिन का समय लगा। एक बार बैटरी चार्ज करने पर यह 60 किलोमीटर चलती है तथा 40 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड देती है। अविनाश के मुताबिक 8 हजार रुपये की मोटर, 3 हजार की पुरानी बाइक और 25 हजार रुपये की बैटरी इस तरह लगभग 35-36 हजार रुपये के खर्च में यह इलेक्ट्रिक बाइक बन गई। यदि किसी को इस तरह की बाइक बनवाना हो तो उनसे संपर्क कर सकते हैं। यंू तो पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार खुद ही इलेक्ट्रिक वाहनों को तवज्जो दे रही है, लेकिन इनकी कीमत अपेक्षाकृत अधिक होने से लोगों ज्यादा आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में इस ग्रामीण छात्र अविनाश का यह प्रयोग उम्मीद जगाता है।