ऐसे ही हिंदुस्तान में वीरों की पत्नियां वीरांगना नहीं कहलातीं

अपना सर्वस्व लूटा कर भी जो अपने परिवार और देश के साथ खड़ी होती है , वो एक वीर की पत्नी माँ या बहन बेटी ही हो सकती है। जिनके आगे सच में हिमालय भी बौना लगता है। एक योद्धा का परिवार ही हो सकता है , जो अपने अंदर महासागर से भी बड़ा दुःखो का अंबार लिए बैठा हो , जिसमे यादो की विशालकाय लहरे आ रही है । फिर भी वो अपने आप को संभाल रखता है। आज जहां सारा देश इस गम में डूबा हुआ शहीदों को अंतिम विदाई दे रहा था। सुबह ही ब्रिगेडियर एल एस लिद्दर साहब का पूरे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार हुआ था। जिन्हें पूरे देश ने उनके शौर्य और बलिदान के लिए अंतिम नमन किया था। उनका परिवार गम में डूबा हुआ था । पर उनकी पत्नी और बेटी के हौसले के आगे आज सारा आसमान नतमस्तक हो गया होगा। जिन्होंने स्वयं को संभाला और देश और मीडिया के आगे आकर महानायक की यादे साझा की। एक अमर सैनिक की पत्नी होने का धर्म निभाते हुए श्रीमती लिद्दर चीफ डिफेंस सपोर्ट विपिन रावत जी के अंतिम संस्कार में शामिल होकर उनकी बेटियों को ढांढस बंधाती रही और उनके साथ थी। ये हिंदुस्तान की माँ बेटियां बहने ही है जो स्वयं का दुःख भूल कर सबके दुःख को अपना बना लेती है।
ऐसी नारियो के चरणों मे अपनी कलम से इस्तकबाल करता हूँ। नमन है देश की ऐसी वीरांगनाओ को जो अपना सब कुछ समर्पित करके भी देश के साथ हमेशा खड़ी है। नमन है देश के वीर जवानों को।

शत शत नमन ब्रिगेडियर एल एस लिद्दर साहब
वीर वडक्कम 🇮🇳
जय हिंद की सेना

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