
बैतूल। जिला मुख्यालय के समीप कढ़ाई गांव में अब 800 कैदियों की क्षमता वाली जेल बनेगी। पहले केवल 500 कैदियों के लिए जेल बनाई जानी थी। इसके साथ ही जेल परिसर का एरिया भी बढ़ा दिया गया है। अब 25 की जगह 40 एकड़ में जेल बनाई जाएगी। यह जेल सर्वसुविधायुक्त होगी। इसमें बैरक के अलावा स्कूल, आईटीआई, अस्पताल सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी और किसी भी कार्य के लिए परिसर से बाहर निकलने की आवश्यकता नहीं होगी।
शहर के बीच में स्थित अंग्रेजों के द्वारा वर्ष 1817 में बनाई गई जिला जेल कैदियों की संख्या बढ़ने से अब छोटी पड़ रही है वहीं आवश्यक सुविधाएं जुटाना भी यहां मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा बीच शहर में जेल का होना सुरक्षा के लिहाज से भी उचित नहीं माना जा रहा है। यही कारण है कि जेल को शहर के बाहर ले जाने की मशक्कत लंबे समय से की जा रही है। इसके लिए पहले जेल मुख्यालय ने 25 एकड़ जमीन मांगी थी। इस पर कढ़ाई गांव से सटी जमीन चुनी गई है। जेल निर्माण का काम पहले पहले पीआईयू को दिया गया था। पीआईयू ने डीपीआर बनाने का काम भी कर लिया था फिर अचानक यह काम हाउसिंग बोर्ड को दे दिया। इस पर बोर्ड द्वारा भी नए सिरे से डीपीआर बनाने की कवायद की गई। अब यह जिम्मा एक बार फिर पीआईयू को सौंप दिया गया है। इसके साथ ही और भी कई बदलाव इस प्रोजेक्ट में किए गए हैं। इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अब यह जेल 25 एकड़ में नहीं बनेंगी बल्कि 40 एकड़ में बनेंगी।
मुख्यालय ने मांगी थी 50 एकड़ जमीन
जेल मुख्यालय के नए निर्देशों में जेल के लिए 25 के बजाय 50 एकड़ जमीन मांगी गई थी। इसमें भी शर्त यह थी कि यह जमीन आयताकार और समतल होना चाहिए। जिला मुख्यालय के आसपास इतनी ज्यादा और आयताकार व समतल जमीन मिलना सम्भव नहीं था। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में चयनित जमीन से लगी हुई ही और 15 एकड़ जमीन जेल विभाग को मुहैया करा दी है। अब नई जेल 40 एकड़ में बनाई जाएगी। जगह की समस्या को देखते हुए अब 40 एकड़ जमीन में ही नई जिला जेल का निर्माण किया जा रहा है।
अब 800 कैदियों की होगी व्यवस्था
इसके साथ ही इसकी क्षमता में भी इजाफा किया जा रहा है। पहले नई जेल 500 कैदियों के लिए बन रही थी। अब यह 800 कैदियों के लिए बनाई जा रही है। वर्तमान जेल की क्षमता 330 कैदियों (305 पुरूष और 25 महिला) की है पर अभी ही यहां पर कभी भी कैदियों की संख्या 450 के पार हो जाती है। इसलिए 500 की क्षमता वाली नई जेल भी भविष्य में नाकाफी सिद्ध होना तय था। यही कारण है कि इसे अधिक कैदियों के लिहाज से बनाया जा रहा है।
आवाजाही के लिए गांव के बीच से नहीं होगा रास्ता
प्रस्तावित स्थल पर आवाजाही के लिए अभी जो रास्ता है वह गांव के भीतर से है। आबादी के बीच से जाने वाला यह सकरा मार्ग सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं माना गया था। इसे देखते हुए मार्ग भी नया तलाश किया गया है। अब नया मार्ग पहाड़ी के ठीक बगल से होगा। अभी यह जमीन वन विभाग के पास है। इसलिए विभाग से यह जमीन मांगी गई है। नए मार्ग से फोरलेन से जेल की दूरी भी कम होगी और किसी तरह का जोखिम भी नहीं रहेगा। इस मार्ग से कढ़ाई गांव तक जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यह जमीन भी जल्द मिलने की संभावना है। इसके लिए पत्राचार भी शुरू हो गया है।
प्रस्तावित नई जेल में कुछ बदलाव हुए हैं। अब जेल 40 एकड़ क्षेत्र में बनेगी। मुख्यालय ने 50 एकड़ जमीन मांगी थी पर इतनी जमीन कहीं भी उपलब्ध नहीं थी। इसके साथ ही जेल की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है और रास्ता भी गांव के भीतर से नहीं बल्कि बाहर से होगा।
योगेंद्र पवार, जेलर, जिला जेल, बैतूल