Vehicle New Rules: ट्रैक्टरों को अनिवार्य रूप से 10 साल बाद स्क्रैप करने को लेकर ट्विटर और व्हाट्सएप सहित मीडिया के कुछ वर्गों में दावें किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि ट्रैक्टरों को 10 बाद ही स्क्रैप करना होगा। इस कथित दावें से किसानों में खासी चिंता है। इसकी वजह है कि ट्रैक्टरों का अधिकांश उपयोग कृषि कार्य में होता है। इसके चलते अधिक ट्रैक्टर भी उन्हीं के पास है। इसके अलावा अन्य वाहनों को लेकर भी तरह-तरह की अफवाहें उड़ रही हैं। इनमें कहा जा रहा है कि अन्य वाहनों को भी 15 साल में स्क्रैप कराना होगा। इन दावों में कितनी सच्चाई है, वह हम इस खबर में आगे पढ़ेंगे।
दरअसल, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने अनुपयुक्त और प्रदूषण फैलाने वाले परिवहन और गैर-परिवहन वाहनों को स्क्रैप करने के लिए स्वैच्छिक वाहन बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम या वाहन स्क्रैपिंग नीति तैयार की है। हालांकि इस नीति के तहत वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए कोई अनिवार्य आयु-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। स्वचालित परीक्षण स्टेशन के माध्यम से परीक्षण के बाद जब तक वाहन उपयुक्त पाया जाता है, तब तक वाहन को सड़क पर चलाया जा सकता है।
कृषि ट्रैक्टर एक गैर-परिवहन वाहन है और प्रारंभ में 15 वर्षों के लिए पंजीकृत किया जाता है। एक बार 15 वर्ष की प्रारंभिक पंजीकरण अवधि पूरी हो जाने के बाद, इसके पंजीकरण का नवीनीकरण एक बार में पांच वर्षों के लिए किया जा सकता है। भारत सरकार ने अधिसूचना जीएसआर 29(ई) दिनांक 16.01.2023 में निर्दिष्ट कुछ सरकारी वाहनों को छोड़कर, किसी भी वाहन के लिए आयु-सीमा निर्धारित नहीं की है।
इन सबसे यह पूरी तरह साफ है कि पहली बार में तो 15 सालों तक वाहन को बिना किसी चिंता के चलाया जा सकता है। इसके बाद भी जरुरी नहीं कि उसे स्क्रैप ही कराना पड़े। उसके बाद भी यदि वाहन पूरी तरह से फिट है तो उसके रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण एक बार फिर 5 सालों के लिए किया जा सकेगा।
इधर इन फर्जी दावों और अफवाहों को देखते हुए सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि 10 साल बाद ट्रैक्टरों को अनिवार्य रूप से स्क्रैप करने के संबंध में ट्विटर और व्हाट्सएप सहित मीडिया के कुछ वर्गों में प्रसारित होने वाली खबरें पूरी तरह से झूठी, निराधार और बिना किसी सच्चाई के हैं। भय पैदा करने के लिए झूठी बातें फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानून-सम्मत कार्रवाई की जाएगी।