UPSC Topper Success Story: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में लाखों कैंडिडेट्स शामिल होते हैं और यह सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। हालांकि, यूपीएससी में सफलता हर किसी को नहीं मिलती है, लेकिन कुछ होनहार कैंडिडेट्स ऐसे भी होते हैं जो यूपीएससी परीक्षा को पास कर लेते हैं। आज की यह कहानी है उत्तराखंड के कर्णप्रयाग की रहने वाली आईएएस अफसर मुद्रा गैरोला की। जिन्होंने आपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए अपने सपने को भुला दिया और साल 2022 की परीक्षा में 53वीं रैंक लाकर अपने पापा का सपना पूरा किया। जिनकी कहानी प्रेरणादायक है।
IAS मुद्रा गैरोला का परिचय
आईएएस अफसर मुद्रा गैरोला उत्तराखंड के चमोली जिले के कर्णप्रयाग की रहने वाली हैं। वर्तमान में उनका परिवार दिल्ली में रहता है। वह बचपन से ही टॉपर रही हैं। उनके 10वीं में 96% और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 97% मार्क्स थे। वह स्कूल में भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी से सम्मानित हो चुकी हैं।
मुद्रा गैरोला की शिक्षा
मुद्रा ने 10वीं में 96 प्रतिशत व 12वीं क्लास में 97 प्रतिशत नंबर स्कोर किए थे। स्कूल खत्म करने के बाद मुद्रा ने मुंबई से डेन्टल की पढ़ाई की। BDS में भी मुद्रा गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। डिग्री पूरी करने के बाद वो दिल्ली आईं और MDS में एडमिशन ले लिया। इसी बीच उन्होंने अपना ध्यान UPSC की तरफ लगाया और MDS में एडमिशन ले लिया। इसी बीच उन्होंने अपना ध्यान UPSC की तरफ लगाया और डॉक्टरी छोड़कर UPSC की तैयारी शुरू की। मुद्रा के पिता अरुण भी सिविल सर्विसेस एग्जाम क्लीयर करके आईएएस बनना चाहते थे। उन्होंने साल 1973 में UPSC की परीक्षा दी थी। उस वक्त वह इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाए थे। उनका अधूरा सपना था बेटी ने पूरा किया।
मुद्रा गैरोला की रैंक
UPSC की 2018 परीक्षा में मुद्रा इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन फाइनल सेलेक्शन नहीं हो पाया। फिर साल 2019 के अटेम्प्ट में मुद्रा ने फिर से इंटरव्यू दिया। इस बार भी सफल नहीं हो सकीं। मुद्रा 2020 की UPSC सिविल सर्विसेज एग्जाम में मेंस की स्टेज तक पहुंची। फाइनली साल 2021 की परीक्षा में मुद्रा ने 165 वीं रैंक हासिल की। वो IPS बनी। इस बार उनकी रैंक काफी अच्छी आई। संभवत: इस बार उन्हें मनपसंद सर्विस और कैडर दोनों मिल गए।
पिता का सपना किया पूरा
मुद्रा के पिता अरुण गैरोला का सपना था कि उनकी बेटी IAS बने। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुद्रा के पिता सिविल सर्विसेस में जाना चाहते थे। पिता अरुण ने साल 1973 में UPSC की परीक्षा दी थी। उस वक्त वो इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाएं थे। उनका सपना था कि बेटी इस मुकाम को हासिल करे।