Surya Grahan 2025: 21 सितंबर 2025 को पितृपक्ष अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण होने वाला है। हालांकि, यह ग्रहण भारत के अधिकांश हिस्सों से दिखाई नहीं देगा। इसे केवल पृथ्वी के कुछ सीमित क्षेत्रों से ही देखा जा सकेगा। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने इस घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रविवार रात 10:59:43 बजे शुरू होगा और मध्यरात्रि के बाद 3:23:45 बजे समाप्त होगा। इस दौरान भारत में अधिकांश लोग नींद में होंगे।
Surya Grahan 2025 को कहां देखा जा सकेगा
सारिका घारू ने ग्रहण का मैप तैयार कर बताया कि यह घटना न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के ईस्टर्न कोस्ट और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगी। गणितीय अनुमान के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या का केवल 0.2 प्रतिशत हिस्सा ही इस ग्रहण को प्रत्यक्ष रूप से देख पाएगा। इसका मतलब यह है कि बहुत कम लोग ही इसे देख सकेंगे।
Surya Grahan 2025 और उनका प्रभाव
सारिका ने बताया कि हर साल कम से कम चार ग्रहण होते हैं। इनमें दो सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण शामिल होते हैं। इनमें से कुछ ग्रहण आपके नजदीकी शहर में दिखाई दे सकते हैं, जबकि बाकी ग्रहण पृथ्वी के अन्य हिस्सों में होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति की उम्र 75 वर्ष है, तो उसने लगभग 300 ग्रहण की भौगोलिक स्थिति का अनुभव किया होगा। ऐसे में यदि इतने ग्रहणों के बाद भी किसी व्यक्ति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा, तो युवा पीढ़ी को ग्रहण से डराने की कोई जरूरत नहीं है।

Surya Grahan 2025 का खानदान और सारोस चक्र
सारिका घारू ने सूर्यग्रहण के खगोलीय पैटर्न की जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक ग्रहण किसी न किसी खानदान का सदस्य होता है। इस विशेष ग्रहण का संबंध सारोस नामक चक्र से है। रविवार का सूर्यग्रहण 18 वर्ष 11 दिन और 8 घंटे के अंतराल के बाद उसी रूप में आया है जैसा 11 सितंबर 2007 को हुआ था। इसके बाद अगला ऐसा ही ग्रहण 3 अक्टूबर 2043 को होगा। सारोस चक्र में कुल 71 ग्रहण होते हैं और यह वर्तमान ग्रहण इस चक्र का 7वां ग्रहण है। सारिका के अनुसार, इस चक्र में ग्रहण की स्थिति और चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी लगभग समान रहती है।
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आपके शहर में Surya Grahan 2025 का अनुभव
यदि कोई व्यक्ति अपने शहर में सूर्यग्रहण देखना चाहता है, तो उसे अगले अवसर का इंतजार करना होगा। सारिका ने बताया कि अगली बार आंशिक सूर्यग्रहण 2 अगस्त 2027 को दिखाई देगा। तब ही लोग इसे भारत में देख पाएंगे। इसका मतलब है कि फिलहाल अधिकांश शहरवासियों के लिए यह ग्रहण केवल जानकारी के तौर पर है, देखने के लिए नहीं।
Surya Grahan 2025 से जुड़े सामान्य तथ्य
सारिका घारू ने यह भी बताया कि ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर कोई विशेष खतरनाक असर नहीं होता। कई लोग ग्रहण के समय पूजा-पाठ या उपवास करते हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका स्वास्थ्य पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रहण केवल खगोलीय घटना है, जिसे सावधानी के साथ ही देखा जा सकता है।
नकारात्मक प्रभाव की ना करें चिंता
इस प्रकार, 21 सितंबर 2025 का सूर्यग्रहण सीमित क्षेत्रों में ही देखा जाएगा। भारत में इसका प्रत्यक्ष अनुभव नहीं होगा। यह ग्रहण सारोस चक्र का 154वां चक्र और 7वां सदस्य है। ग्रहण की भौगोलिक और गणितीय स्थिति से यह स्पष्ट होता है कि यह प्राकृतिक घटना है और इसके किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगले अवसर के लिए 2 अगस्त 2027 का इंतजार करना होगा, जब आंशिक सूर्यग्रहण भारत में दिखाई देगा।
75 वर्ष का बुजुर्ग देख चुका इतने ग्रहण

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