MP E-Uparjan 2023-24 मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास अशोक वर्णवाल ने बताया है कि रबी वर्ष 2022-23 (विपणन वर्ष 2023-24) में चना, मसूर एवं सरसों के उपार्जन के लिये पंजीयन की कार्यवाही ई-उपार्जन पोर्टल पर की जा रही है। यह कार्यवाही 25 फरवरी 2023 तक चलेगी। केन्द्र सरकार की प्राइस सपोर्ट स्कीम में रबी फसलों के उपार्जन के लिये आवश्यक निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
मसूर का उपार्जन 37 जिलों में होगा
समर्थन मूल्य पर मसूर का उपार्जन 37 जिलों राजगढ़, सतना, डिण्डोरी, विदिशा, सागर, रीवा, नरसिंहपुर, दतिया, रायसेन, पन्ना, दमोह, मण्डला, जबलपुर, शाजापुर, अनूपपुर, सिवनी, अशोकनगर, कटनी, मंदसौर, आगर, सीधी, सिंगरौली, सीहोर, छतरपुर, उमरिया, शिवपुरी, शहडोल, होशंगाबाद, भिण्ड, उज्जैन, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, रतलाम, बैतूल, नीमच, हरदा और धार में किया जायेगा।
सरसों का उपार्जन होगा 39 जिलों में
समर्थन मूल्य पर सरसों का उपार्जन प्रदेश के 39 जिलों भिण्ड, मुरैना, शिवपुरी, मंदसौर, श्योपुरकलां, ग्वालियर, बालाघाट, टीकमगढ़, छतरपुर, नीमच, डिण्डोरी, मण्डला, दतिया, रीवा, सिंगरौली, आगर, गुना, पन्ना, रतलाम, सतना, अशोकनगर, शहडोल, विदिशा, राजगढ़, सिवनी, अनूपपुर, सीधी, जबलपुर, शाजापुर, कटनी, उज्जैन, उमरिया, रायसेन, सागर, होशंगाबाद, दमोह, छिंदवाड़ा, बैतूल और हरदा में होगा।
गेहूं के लिए अभी तक इतने पंजीयन
इधर बैतूल जिले में गेहूं के समर्थन मूल्य खरीदी के लिए पंजीयन जारी है। शुरूआत में पंजीयन की रफ्तार बहुत धीमी गति चल रही है। तीन दिनों में महज 135 किसानों ने ही पंजीयन किया है। गेहूं उपार्जन के लिए जिले में 6 फरवरी से पंजीयन की शुरूआत हुई है। पंजीयन की यही रफ्तार रही तो पिछले वर्ष की तुलना में कम पंजीयन होने की संभावना है। किसानों में समर्थन मूल्य में उपज बेचने को लेकर अभी से दिलचस्पी नहीं दिख रही है। अधिकारियों का कहना है कि अभी तो पंजीयन की शुरूआत हुई है। कई पुराने पंजीकृत किसान हैं, उन्हें भी मैसेज कर पंजीयन के लिए सूचित किया जाएगा।
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प्रभावित हो सकता है खरीदी का कार्य
समर्थन मूल्य में गेहूं खरीदी का कार्य प्रभावित हो सकता है। इसका कारण यह है कि समर्थन मूल्य की अपेक्षा मंडी में अधिक दाम मिल रहे है। कृषि उपज मंडी में अभी गेहूं के दाम 2400 से लेकर 2600 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से चल रहे है। किसान घाटे में उपज बेचना पसंद नहीं करेंगे। मंडी में दाम इसी तरह अधिक रहे तो समर्थन मूल्य में खरीदी प्रभावित हो जाएंगी। किसान सीधे मंडी में ले जाकर उपज बेचेंगे। किसानों को मंडी में बेचने का यह भी फायदा मिलेगा कि नकद राशि का भुगतान हो जाएगा। पिछले वर्ष भी मंडी में दाम अधिक होने के कारण खरीदी प्रभावित हुई थी। इस वर्ष भी यही हाल होने की संभावना है।