Indian Railways Facts : क्यों बंद नहीं किया जाता स्टेशन पर खड़ी रहने पर भी ट्रेन का इंजन, बड़ी रोचक है इसकी वजह
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Indian Railways Facts : हम अक्सर देखते हैं कि सड़क पर चलने वाले किसी वाहन को यदि कहीं थोड़ी देर खड़े करने की जरूरत होती है तो उसे बंद कर दिया जाता है। जानकार भी यही सलाह देते हैं कि वाहन को 5-10 मिनट खड़ा रखना है तो उसे बंद कर दिया जाए, ताकि पेट्रोल या डीजल की बचत हो सके। हर समझदार व्यक्ति या वाहन चालक ऐसा ही करता भी है।
इसके विपरीत हम अक्सर देखते हैं कि किसी ट्रेन के स्टेशन पर आने के बाद भी ट्रेन का इंजन बंद नहीं किया जाता है। यदि ट्रेन को कहीं आधा या एक घंटा भी खड़ी रहना हो तो भी इंजन बंद नहीं किया जाता है, इंजन चालू ही रखा जाता है। ऐसे में सभी के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि कहीं ट्रेन के पायलट डीजल या बिजली की फिजूलखर्ची या बर्बादी तो नहीं करते हैं। (Indian Railways Facts)
हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दरअसल, सोशल साइट कोरा पर इसी को लेकर एक सवाल पूछा गया था। इस सवाल का जवाब कोरा के एक यूजर और रेलवे अधिकारी अनिमेष कुमार सिन्हा ने विस्तार से दिया है। साथ ही चित्रों के जरिए इसे बेहद अच्छी तरह से समझाया भी है। उन्होंने बताया है कि एक ट्रेन जब स्टेशन पर आती है तो उसके इंजन को बंद नहीं करने के 4 कारण हैं।
ट्रेन में लगे ब्रेक के छूट जाने की संभावना (Indian Railways Facts)
हर ट्रेन के इंजिन में ब्रेक प्रेशर नापने हेतु गेज होता है। यह 5 kg दबाव पर रहेगा तभी ट्रेन का ब्रेक काम करेगा। इस हेतु इंजन में कंप्रेसर लगे होते हैं। जिनका दबाव 8 kg होना चाहिए। यदि इंजन को बंद कर दिया जाए तो यह वायु दबाव 5 kg से हटकर 0 हो जाएगा और ट्रेन के ब्रेक छूट जाएंगे। जिससे ट्रेन लुढ़क कर दुर्घटना ग्रस्त हो सकती है। अतः सेफ्टी के लिहाज से ट्रेन में लगे हुए इंजन को बंद नहीं किया जाता है। यह सबसे बड़ा कारण है।
इंजन दोबारा स्टार्ट करने में लगते हैं 20 से 25 मिनट न्यूनतम (Indian Railways Knowledge)
यदि इंजन को बंद करके दोबारा स्टार्ट किया जाता है तो इंजन में ही सारे प्रेशर इत्यादि को सामान्य लेवल पहुंचने में कम से कम 5- 10 मिनट लग जाते हैं। इसके बाद इंजन के ब्रेक पाइप को ट्रेन से जोड़ने पर ट्रेन के ब्रेक पाइप को दोबारा 5 केजी के स्तर पहुंचने में 10–15 मिनट और लगेगा। लेकिन, अधिकांश जगहों पर ट्रेन के स्टॉपेज 5 से 10 मिनट की ही होती है।
ऐसी हालत में 5 मिनट की जगह 25 मिनट लगने पर ट्रेन भयंकर लेट होने लगेगी। ट्रेन के भीतर ब्रेक पाइप इत्यादि की कुल लंबाई 1 किलोमीटर से भी ज्यादा की होती है तो आप खुद सोच सकते हैं इसे जीरो से 5 केजी तक पहुंचाने में कितना समय लगेगा। सड़क वाहन यथा कार ट्रक इत्यादि में यह समस्या नहीं होती है क्योंकि वहां चार्ज करने के लिए कोई ब्रेक पाइप नहीं होता। साथ ही कार आदि में इंजन बंद हो तो भी ब्रेक लग जाता है, लेकिन रेल में ऐसी बात नहीं है। (Indian Railways Facts)
डीजल इंजन में बैटरी कमजोर होने पर नहीं होगा इंजन दोबारा स्टार्ट (Indian Railways Facts)
डीजल इंजन के साथ एक समस्या यह भी होती है कि यदि उसे बंद कर दिया जाए और उसकी बैटरी कमजोर हो तो वह शायद दोबारा चालू ही न हो। बीच जंगल में कहीं ऐसा होने और दूसरा इंजन आने में घंटों का समय लग सकता है। इन हालातों में एक ओर जहां ट्रेन घंटों लेट हो सकती है वहीं यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है।
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इंजन से ही होती है डिब्बों में बिजली की सप्लाई (Indian Railways Facts)
आधुनिक इंजन (HOG डिज़ाइन) में इंजन द्वारा ही ट्रेन को एयर कंडीशनर, पंखा और लाइट इत्यादि हेतु बिजली की आपूर्ति होती है। इंजन यदि बंद कर दिया जाए तो पूरी ट्रेन में एयर कंडीशनर, पंखा और लाइट इत्यादि बंद हो जाएंगे। इन्हीं सब कारणों से डीजल या बिजली की अधिक खपत के बावजूद इंजन को बंद नहीं किया जाता है।
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