Cold wave in Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश के लोग लगातार बारिश झेलने के बाद अब कड़ाके की ठंड की जकड़ में हैं। पिछले 3 दिनों से लगातार कई इलाकों में शीतलहर चल रही है और कुछ जिलों में दिन भी बेहद ठंडे चल रहे हैं। आज मंगलवार को भी प्रदेश के 18 जिलों में शीतलहर चलने और 3 में शीतल दिन रहने का अलर्ट मौसम विभाग ने जारी किया है।
मौसम केंद्र भोपाल द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार आज 11 नवंबर को प्रदेश के उज्जैन, शाजापुर, सिहोर, देवास, बैतूल, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मऊगंज, सीधी और शहडोल में शीतलहर चलेगी। इसके अलावा राजगढ़, भोपाल और इंदौर में शीतल दिन रहेगा। इसके चलते लोगों को सावधानी बरतने की सलाह मौसम विभाग ने दी है।

बुधवार को इन जिलों में चलेगी शीतलहर
बुधवार को भी प्रदेश के कई जिलों में शीतलहर चलने का अलर्ट है। इनमें ग्वालियर, भिंड, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मऊगंज, सीधी,य सिंगरौली, शहडोल, मैहर, राजगढ़, भोपाल, सिहोर, शाजपुर, देवास, उज्जैन और इंदौर शामिल हैं।

बीते 24 घंटे में ऐसा रहा प्रदेश का मौसम
पिछले 24 घंटे में भी कई जिलों में कड़ाके की ठंड से लोगों को दो-चार होना पड़ा। इनमें रीवा, छिंदवाड़ा, बालाघाट, बैतूल जिलों में शीतलहर, भोपाल, राजगढ़, इंदौर, शहडोल जिलों में तीव्र शीतलहर का प्रभाव रहा। वहीं बालाघाट में शीतल दिन भी रहा।
तापमान की यह रही मध्यप्रदेश में स्थिति
रविवार-सोमवार की रात में प्रदेश में सबसे कम 7.2 डिग्री सेल्सियस तापमान शहडोल के कल्याणपुर में रहा। इसके अलावा राजगढ़ में 7.6, इंदौर में 7.9, अमरकंटक में 8.4 और उमरिया में 8.5 डिग्री सेल्सियस रहा। बड़े शहरों में भोपाल में 8.8, ग्वालियर में 10.5, उज्जैन में 11 और जबलपुर में 10.2 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। प्रदेश के कई जिलों में मसूरी और देहरादून से ज्यादा सर्दी देखी जा रही है।
एमपी में क्यों पड़ रही कड़ाके की ठंड
मौसम विभाग के मुताबिक पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी चल रही है। इन राज्यों से आ रही बर्फीली हवाओं के कारण प्रदेश का उत्तरी हिस्सा भी ठिठुर रहा है। उत्तरी हिस्से में एक्टिव वेस्टर्न डिस्टरबेंस यह बर्फीली हवाएं मध्यप्रदेश की ओर ला रहा है।
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शीतलहर के दौरान यह सावधानियां जरुरी
- शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता, सफेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उंगलियों, कान की लो तथा नाक की ऊपरी सतह का ध्यान रखें।
- शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लात फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अत: शीत लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह लें तथा तब तक अंगों को गरम करने का प्रयास करें।
- शीत लहर के प्रभाव से हाइपोथर्मिया हो सकता है। शरीर में गर्मी के हृास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा, मांसपेशियों में अकड़न, सांस लेने में दिक्कत/निश्वेतन की अवस्था हो सकती है। यह अत्यधिक गंभीर अवस्था है इसमें तत्काल चिकित्सीय सहायता लें।
- शरीर की गर्माहट बनाए रखने हेतु अपने सर, गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को अच्छे से ढंके एवं पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर एवं जल रोधी जूते आदि पहने।
- शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें।
- इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
- पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें।
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किसान भाई बरतें यह सतर्कता
- शीत लहर आने से पहले खेत में हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी का तापमान बना रहे। रात के समय खेत के किनारों पर सूखी पत्तियाँ या भूसा जलाकर धुआँ करें।
- सब्जियों और नाजुक फसलों के आसपास पुआल, घास या प्लास्टिक शीट से ढंकाव करें।
- आलू टमाटर, मिर्च, फूलगोभी, सरसों आदि फसलों की विशेष सुरक्षा करें। सब्जी नर्सरी को पॉलीथीन शीट या घास से ढंककर रखें।
- पशुओं को ठंडी हवा से बचाने के लिए बंद या आंशिक बंद गोठ में रखें। पशुओं को पीने के लिए गुनगुना पानी दें, ठंडा पानी न दें।
- पशुओं के लिए सूखी बिछावन जैसे पुआल या भूसा बिछाएँ। पशुओं को गुड़, तेलखली, दाना आदि ऊर्जावान चारा दें।
- किसान खुद ठंड से बचने के लिए ऊनी कपड़े, टोपी, दस्ताने और जूते पहनें। अत्यधिक ठंड में खेत पर काम करने से बचें।
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