Chandra Grahan 2025: भारत सहित दुनिया भर में खगोलीय घटनाओं को लेकर हमेशा उत्सुकता रहती है। ग्रहण उनमें से एक ऐसा अद्भुत दृश्य है जो न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में भी इसका विशेष स्थान है। वर्ष 2025 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण सितंबर माह की पूर्णिमा तिथि पर लगने जा रहा है। इसे लेकर लोगों में उत्साह और जिज्ञासा दोनों है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह चंद्र ग्रहण कब लगेगा, कहां दिखेगा, सूतक काल का समय क्या रहेगा और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
Chandra Grahan 2025 का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है। वहीं धार्मिक मान्यताओं में इसे शुभ नहीं माना जाता। हिंदू परंपराओं के अनुसार ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और अन्य मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। यही कारण है कि इस समय मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और देव प्रतिमाओं को ढक दिया जाता है।

कब लगेगा वर्ष का अंतिम Chandra Grahan 2025
भारतीय समयानुसार यह चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा और 8 सितंबर की सुबह 1 बजकर 26 मिनट तक चलेगा। रात 11 बजकर 9 मिनट पर इसका स्पर्श होगा और 11 बजकर 42 मिनट पर यह अपने मध्य पर पहुंचेगा। इसके बाद 12 बजकर 23 मिनट से मोक्ष काल शुरू होगा। कुल मिलाकर यह ग्रहण लगभग चार घंटे तक चलेगा।
Chandra Grahan 2025 भारत में दिखेगा या नहीं
अक्सर लोग यह सवाल करते हैं कि ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं। इस बार का अंतिम चंद्र ग्रहण भारत में साफ तौर पर नजर आएगा। देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता में लोग इसे देख सकेंगे। भारत के अलावा यह ग्रहण उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, आर्कटिक, अंटार्कटिका और हिंद महासागर के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा।
Chandra Grahan 2025 के सूतक काल का समय
हिंदू मान्यताओं के अनुसार ग्रहण लगने से लगभग नौ घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। इस अवधि में शुभ कार्य करने पर रोक होती है। 7 सितंबर की दोपहर करीब 1 बजकर 57 मिनट से सूतक काल शुरू हो जाएगा और यह 8 सितंबर की सुबह ग्रहण समाप्त होने तक चलेगा। सूतक के दौरान लोग भोजन बनाने, धार्मिक ग्रंथ पढ़ने, मूर्तियों को छूने और यात्रा जैसे कार्यों से बचते हैं।

Chandra Grahan 2025 के दौरान ब्लड मून का अद्भुत दृश्य
यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पूरी तरह पड़ जाती है, तब उसका रंग लालिमा लिए दिखाई देता है। यह दृश्य 7 सितंबर की रात 11 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर की सुबह 12 बजकर 22 मिनट तक लगभग 82 मिनट तक देखा जा सकेगा। खगोल विज्ञान में इसे बेहद खास घटना माना जाता है।
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Chandra Grahan 2025 के दौरान माने जाने वाले नियम
ग्रहण काल को अशुभ मानते हुए कई परंपराएं प्रचलित हैं। इस समय नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव की बात कही जाती है। इसलिए घर के मंदिर की मूर्तियों को ढकने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के समय तुलसी, पीपल और बरगद जैसे पवित्र वृक्षों को छूना दोषकारी होता है।
इस दौरान वाद-विवाद या झगड़ों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। ग्रहण के समय दांपत्य संबंध बनाना वर्जित माना गया है। नुकीले उपकरण जैसे चाकू, कैंची, सुई आदि का प्रयोग भी अशुभ माना जाता है। बाल और नाखून काटना इस दौरान वर्जित है।
Chandra Grahan 2025 में गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने की मनाही है। उन्हें नुकीली वस्तुओं को हाथ में नहीं लेना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से गर्भस्थ शिशु पर बुरा असर पड़ सकता है। इस समय उन्हें आराम करना चाहिए और ग्रहण के बाद स्नान कर शुद्धता बनाए रखना जरूरी माना जाता है।
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Chandra Grahan 2025 के दौरान क्या करें और क्या न करें
ग्रहण के दौरान भोजन बनाने और खाने से बचना चाहिए। पहले से बने भोजन में तुलसी की पत्तियां डालकर रखने की परंपरा है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके घर और मंदिर की शुद्धि की जाती है। वहीं इस समय ध्यान, मंत्र जाप और दान-पुण्य को विशेष महत्व दिया जाता है।
लोग मानते हैं कि ग्रहण का असर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है, इसलिए सकारात्मक सोच बनाए रखना जरूरी है। ग्रहण खत्म होने के बाद गंगाजल से घर की शुद्धि और स्नान करना शुभ माना जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से Chandra Grahan 2025 का प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण का असर अलग-अलग राशियों पर अलग तरह से पड़ता है। कुछ राशियों के लिए यह समय लाभकारी माना जाता है तो कुछ पर चुनौतियां बढ़ा सकता है। इसलिए ज्योतिषी इस समय विशेष उपाय करने की सलाह देते हैं। ग्रहण के दौरान शिव मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से नकारात्मक असर कम होता है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता को लेकर बैतूल अपडेट कोई दावा नहीं करता है। विभिन्न ज्योतिषियों, मान्यताओं, पंचांग और धर्मग्रंथों में उपलब्ध यह बातें आप तक पहुंचाने का हमारा उद्देश्य केवल सूचना देना है। इसके सिद्ध होने की प्रामाणिता हम नहीं दे सकते। इसलिए इन जानकारियों का किसी भी तरह के उपयोग से पहले विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य लें।
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