Betul Unique Decision: (बैतूल)। लोगों को नशे से बचाने के लिए सामाजिक स्तर पर भी बहुत सी जगह तरह-तरह की पहल की जाती है। इसी तरह की पहल मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में भी होती रहती हैं। इसी कड़ी में एक और पहल जिले के एक गांव में हुई है। यहां नशा मुक्ति अभियान के तहत पाढर क्षेत्र के ग्राम कुप्पा में ग्रामीणों ने जागरूकता रैली निकाली। रैली के माध्यम से घर-घर जाकर नशे के दुष्परिणाम की समझाइश दी। युवाओं को नशे की लत से दूर रहने की अपील की गई।
इसके साथ ही ग्रामीणों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सर्वसम्मति से लिया कि नशा करके गांव में उत्पात मचाने वाले पर 1151 रुपए का जुर्माना किया जाएगा। रैली के दौरान ग्रामीण अरविंद मर्सकोल ने बताया कि नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही नष्ट हो जाता है। नशीले और जहरीले पदार्थों के सेवन से व्यक्तियों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचाने के साथ ही सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है। नशा के आदी व्यक्ति को समाज में हेय की दृष्टि से देखा जाता है। इस दुर्व्यसन से आज स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग और विशेषकर युवा वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। नशे से ग्रस्त व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। समाज में पनप रहे विभिन्न प्रकार के अपराधों का कारण नशा ही है।
मदन काकोड़िया ने कहा कि मादक द्रव्यों से मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ समाज, परिवार और देश को भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। किसी भी देश का विकास उस देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। नशे से विभिन्न प्रकार की बीमारियां का भी सामना करना पड़ता है। हमें नशे से होने वाले दुष्प्रभावों पर गंभीरता से विचार कर एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक पूर्ण नशा मुक्त व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
अभियान में इनकी रही विशेष सहभागिता
नशा मुक्ति अभियान में ग्रामीण गोपाल बेले, तुलसी उइके, कृष्णा सलाम, दीपांशु काकोड़िया, राकेश काकोड़िया, द्वारका चांद सूर्या, बाबूराव काकोड़िया, केसरी राजने, शिवकांति, अरविंद मर्सकोले, राजेंद्र काकोड़िया, दीपक काकोड़िया, अशोक उईके, अनूप सलाम, विक्रांत उईके, श्याम सिंह काकोड़िया, शिव मदन काकोड़िया, शिवम काकोड़िया, पंकज परते, राने परते, प्रेमवती बाई, सरस्वती बाई, पुष्पा बाई, मनकी बाई, मंगलेश काकोड़िया, साहबलाल काकोड़िया, जीतू काकोड़िया, पप्पू परते, सुजल धुर्वे, उमेश काकोड़िया, अरविंद काकोड़िया आदि ग्रामीण उपस्थित थे।