Betul Samachar: यह कैसा आजादी का अमृत महोत्सव… यहां आज भी ट्यूब पर सवार होकर करते नदी पार, नहीं बना पुल

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Betul Samachar: यह कैसा आजादी का अमृत महोत्सव... यहां आज भी ट्यूब पर सवार होकर करते नदी पार, नहीं बना पुल

▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़

Betul Samachar: देश को आजाद हुए 75 साल का लंबा बीत गए है और जोर शोर से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। वहीं विकास के दावें तो हुक्मरान और जनप्रतिनिधि ऐसे करते हैं मानो अब कहीं किसी काम की जरूरत ही नहीं। लेकिन, हकीकत इसके विपरीत है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर ही ऐसे गांव भी हैं जो की बुनियादी सुविधाओं तक को तरस रहे हैं। अपने रोजमर्रा के कामों के लिए भी उन्हें रोजाना अपनी जान जोखिम में डालना होता है।

यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि विकास कछुवा चल से चल रहा है। सरकारें बदली, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के हालात नहीं बदल सके। यहां स्थिति अब भी बद से बदतर है। कहने को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना ने गांवों को शहरों से जोड़ने का काम किया, लेकिन बड़ी नदियों पर पुल नहीं होने से यह योजना नाकारा साबित हो रही है।यही वजह है कि गांव-गांव तक सड़क पहुंचने के बाद भी आज भी कई गांव पहुंचविहीन जैसे ही हैं।

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बैतूल जिले के सर्वाधिक पिछड़े भीमपुर विकासखंड की कई ग्राम पंचायतों के गांवों के भी यही हाल हैं। यहां ग्राम पंचायत धामन्या, कासिया, डोक्या सहित दर्जनों गांवों का संपर्क ताप्ती नदी पर पुल नहीं होने से बारिश में कट जाता है। ग्रामीण ऐसी स्थिति में ताप्ती नदी की विपुल जलराशि को ट्यूब पर सवार होकर पार करते हैं। नागपंचमी त्यौहार पर आदिवासी रिश्तेदारों के घर बने पकवान की सिदोरी पहुंचाने एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं। लेकिन, उफनती ताप्ती नदी को जान जोखिम में डालकर ट्यूब पर सवार होकर नदी पार करते हैं।

धामन्या गांव के निवासी किसनु उइके, धर्मराज इवने, निकेश बघेल बताते हैं कि ताप्ती नदी की बाढ़ को ट्यूब और डोंगे पर सवार होकर पार करना उनकी मजबूरी है। घाना गांव के ग्रामीण गणेश पांसे, आमढाना के जिंदुलाल बताते हैं कि उन्हें राशन लाने भी धामन्या ताप्ती नदी को पार करके ही जाना होता है।वहीं धामन्या के ग्रामीण ताप्ती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित चुनालोमा में अस्पताल, बैंक के कार्य से जाने के लिए मजबूरी में ट्यूब का ही सहारा लेते हैं। ऐसे में नदी पार करने के लिए ग्रामवासियों को अपनी जान जोखिम में डालना होता है।

Betul Samachar: यह कैसा आजादी का अमृत महोत्सव... यहां आज भी ट्यूब पर सवार होकर करते नदी पार, नहीं बना पुलधामन्या घाट पर पुल बनवाने ग्रामीण बीस वर्षों से नेताओं के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। नदी के दोनों किनारे प्रधानमंत्री सड़क तो पहुंच गई पर पुल नहीं बनने से बारिश में यह सड़क उनके किसी काम की नहीं रह जाती है। यही कारण है कि अब की बार भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र के इन गांवों में ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना रहे हैं।

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