Betul Big Breaking : बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के शाहपुर स्थित आदर्श एकलव्य आवासीय विद्यालय में लाखों रूपए की वित्तीय अनियमितता के मामले में आखिर राज्य शासन ने देर आए दुरूस्त की तर्ज पर यहां के प्राचार्य एसके डोनीवाल को दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया है। इस मामले में कलेक्टर के निर्देश पर बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 4 कर्मचारी पूर्व में ही निलंबित किए जा चुके है।
यह पूरा मामला बैतूल जिले के प्रमुख सांध्य दैनिक समाचार पत्र ‘सांझवीर टाईम्स’ द्वारा उठाया गया था। इस संबंध में सिलसिलेवार कई समाचार प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर बनी कमेटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद यह कार्रवाई की गई है। डोनीवाल को निलंबित करते हुए उन्हें नर्मदापुरम जनजातीय कार्य विभाग में अटैच किया गया है।
एकलव्य आदिवासी आवासीय विद्यालय शाहपुर में प्रथम श्रेणी प्राचार्य एसके डोनीवाल द्वारा लंबे समय से अनियमितता की जा रही है। इस मामले में एक शिकायतकर्ता ने भी प्रधानमंत्री तक शिकायत कर डोनीवाल की करतूतों को सामने लाने का प्रयास किया। उन्होंने मय सबूत सांझवीर टाईम्स को भी कई साक्ष्य उपलब्ध कराए। आरटीआई के तहत निकाली जानकारी में भी कई अनियिमतता सामने आई थी।
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इस आधार पर सांझवीर टाईम्स में लाखों के भ्रष्टाचार की सिलसिलेवार खबर प्रकाशित की गई थी। कलेक्टर नरेन्द्र सूर्यवंशी ने इन खबरों के बाद एक जांच टीम बनाई थी। इसकी रिपोर्ट के बाद कलेक्टर ने एकलव्य आवासीय विद्यालय के दो अतिथि शिक्षक, एक लिपिक और एक शिक्षक को निलंबित कर दिया था।
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प्राचार्य डोनीवाल समेत एक अन्य का निलंबन प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया था। करीब तीन माह बाद भोपाल में इस प्रस्ताव पर निर्णय ले लिया गया। सोमवार शाम को जनजातीय कार्य विभाग के उपसचिव प्रणय नागवंशी ने प्राचार्य डोनीवाल को अनियमितता के आरोप में निलंबित करते हुए उनका कार्यालय नर्मदापुरम जनजातीय कार्यालय अटैच किया गया है। डोनीवाल पर वर्ष 2023-24 में आवासीय विद्यालय में खरीददारी में अनियमितता के आरोप लगे थे।
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इन पर दर्ज हों एफआईआर (Betul Big Breaking)
दरअसल एकलव्य आवासीय विद्यालय परिसर में प्रतिवर्ष लगभग 7 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया जाता है। विद्यार्थियों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए भोपाल के ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया था। इसके अलावा आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन और ईपीएफ की राशि में भी वित्तीय अनियमितता की गई थी।
सांझवीर टाईम्स द्वारा विद्यार्थियों के हित को देखते हुए सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए गए थे। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूयवंशी ने तत्काल संज्ञान लेकर जब जांच करवाई तो पूरा मामला पानी की तरह साफ हो गया कि किस तरह से वित्तीय अनियमितता के इस काले खेल को अंजाम दिया गया।
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उस खेल में प्राचार्य को तो निलंबित कर दिया गया, लेकिन पीजीटी, व्याख्यता और ठेकेदार को क्लीनचिट दे दी गई। जबकि शिकायतकर्ता भी प्राचार्य और ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर की मांग कर चुका है।