MP district name change: मध्यप्रदेश में गांवों और शहरों के नाम में बदलाव का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने अब प्रदेश के एक और जिले के नाम में परिवर्तन किया है। अलीराजपुर जिले के नाम में संशोधन करते हुए इसे अब आधिकारिक रूप से आलीराजपुर कर दिया है।
राज्य शासन के राजस्व विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। यह बदलाव गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद किया गया है। अलीराजपुर जिले को नया नाम मिलने के साथ ही प्रदेश में उन जिलों और कस्बों की संख्या और बढ़ गई है, जिनके नाम पिछले कुछ वर्षों में परिवर्तित किए गए हैं।
आलीराजपुर ही करते हैं उच्चारण
अलीराजपुर जिले का नाम बदलने (MP district name change) के पीछे मुख्य कारण उच्चारण और ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा हुआ माना जा रहा है। लंबे समय से स्थानीय लोग इस जिले को आलीराजपुर के नाम से ही पुकारते आ रहे थे। अब शासन ने इसे आधिकारिक रूप दे दिया है।

गृह मंत्रालय से मिल चुकी एनओसी
राजस्व विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 21 अगस्त 2025 को इस संबंध में अनापत्ति पत्र दिया था। उसी आधार पर राज्य सरकार ने यह अधिसूचना जारी की है। इसका सीधा मतलब यह है कि अब से जिले के सभी शासकीय और गैर-शासकीय दस्तावेजों, पटवार अभिलेखों, नक्शों, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी लेटरहेड्स में अलीराजपुर की जगह आलीराजपुर (MP district name change) लिखा जाएगा।
वर्ष 2008 में हुआ था जिले का गठन
अलीराजपुर जिले का नाम बदलकर आलीराजपुर करना इस प्रक्रिया की एक और कड़ी है। यह जिला अपेक्षाकृत नया है और मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में आता है। जिले का गठन 2008 में हुआ था और यह प्रदेश के छोटे जिलों में से एक है। यहां की अधिकांश आबादी आदिवासी समुदाय से संबंधित है, जिनकी संस्कृति और परंपराओं का विशेष महत्व है। यही कारण है कि जिले के नाम में सुधार (MP district name change) को स्थानीय लोगों ने सकारात्मक नजरिए से देखा है।

नए नाम से जारी होंगे दस्तावेज
आलीराजपुर जिले के नाम बदलने के बाद अब यहां के सभी शासकीय दस्तावेज, प्रमाण पत्र, पंजीयन और सरकारी योजनाओं के अभिलेख नए नाम से जारी होंगे। हालांकि पुराने दस्तावेज भी मान्य रहेंगे, लेकिन भविष्य में सभी आधिकारिक रिकॉर्ड में केवल आलीराजपुर नाम ही दर्ज किया जाएगा।
पहले भी कई नामों में बदलाव
राज्य सरकार ने पहले भी कई प्रमुख स्थानों और जिलों के नाम बदले हैं। चार साल पहले राजधानी भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया था। इसके बाद ऐतिहासिक शहर होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया गया। इन बदलावों को लेकर उस समय काफी चर्चा भी हुई थी।
वास्तविक स्वरूप में प्रस्तुत करना उद्देश्य
प्रदेश सरकार का मानना है कि नाम बदलने का उद्देश्य केवल नामांतरण करना नहीं है, बल्कि उन स्थलों को उनके वास्तविक और ऐतिहासिक स्वरूप में प्रस्तुत करना भी है। यही वजह है कि हाल के वर्षों में गांवों, कस्बों और जिलों के नामों में लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
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54 गांवों के बदले जा चुके नाम
फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की थी कि प्रदेश के कई गांवों के नाम बदले जाएंगे। इसके तहत देवास जिले के 54 गांवों को नया नाम देने की प्रक्रिया शुरू की गई। इन गांवों के पुराने नाम मुस्लिम शासकों या मुगल काल से जुड़े माने जाते थे।
इनमें मुरादपुर, हैदरपुर, शमशाबाद, आमलाताज, हरजीपुरा, इस्माईल खेड़ी, जलालखेड़ी, मोचीखेड़ी, इस्लाम नगर, पीर पाडलिया, चांदगढ़, नोसराबाद, इस्लामपुरा मुंडला, मोहम्मदपुर और अजिजखेड़ी जैसे नाम शामिल थे। इनकी जगह अब ऐसे नाम रखे गए हैं जो स्थानीय संस्कृति और परंपरा को प्रतिबिंबित करते हैं।
इन जिलों के गांवों के भी नाम परिवर्तित
देवास जिले के अलावा शाजापुर जिले के 11 गांवों के नाम भी बदल दिए गए हैं। उज्जैन जिले में तीन गांवों का नाम परिवर्तित किया गया। उदाहरण के तौर पर मौलाना गांव का नाम अब विक्रम नगर हो गया है, जहांगीरपुर का नाम बदलकर जगदीशपुर रखा गया और गजनी खेड़ी का नाम चामुंडा माता नगरी कर दिया गया है। इन बदलावों का मकसद स्थानीय समाज की धार्मिक आस्था और परंपरा को मान्यता देना बताया गया।
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