लोकेश वर्मा, बैतूल
वातावरण में ठंडक घुलते ही इन दिनों किसानों के खेतों में बन रहे गुड़ की खुशबू से क्षेत्र महक उठा है। वैसे भी बैतूल में बनने वाले गुड की पहचान देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों तक में है।
बैतूल की पहचान बेशकीमती सागौन के अलावा जिस चीज के लिए है उनमें यहाँ बनने वाला गुड़ विशेष रूप से शामिल हैं। इन दिनों खेतों में लगी घानियों में यही गुड़ तैयार हो रहा है जो कि सेहत का खजाना माना जाता है। छोटे-छोटे घानी के उद्योग क्षेत्र को विशिष्ट पहचान दिला चुके हैं। इनमें बनने वाले बिना मसाले वाले गुड़ की बात तो खास होती है, खाने में विशेष स्वाद के साथ सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
क्षेत्र में किसानों द्वारा 1, 2, 5 तथा 10 किलो की गुड़ की पेटी बनाने का कार्य किया जा रहा है। चाय की चुस्की हो या तिल के लड्डू या फिर मूंगफली की चिक्की, सबमे ठंड के दिनों में शरीर को गर्म बनाए रखने के लिए गुड़ लाभकारी माना जाता है।
मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।