Zero Shadow Day : मध्य भारत में नहीं थी जीरो शेडो डे जैसी स्थिति; सोशल मीडिया की अफवाहों पर सारिका का खुलासा
Zero Shadow Day: There was no situation like Zero Shadow Day in central India; Sarika's disclosure on social media rumors
Zero Shadow Day : भले ही आज शुक्रवार को मानसूनी बादलों ने आपकी परछाई नहीं बनने दी हो, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल समाचारों ने जीरो शैडो डे को मध्य भारत में भी अनोखी खगोलीय घटना के रूप में खूब प्रचारित किया। वैज्ञानित तथ्यों पर आई अधूरी जानकारी की परछाई को हटाने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने मैप के माध्यम से इस खगोलीय घटना के वैज्ञानिक पक्ष को सामने रखा।
सारिका ने बताया कि मकर तथा कर्क रेखा के बीच स्थित शहरों में साल में सिर्फ दो दिन ही मध्यान्ह के समय पर छाया उस वस्तु के ठीक नीचे बनती है। जिससे परछाई दिखाई नहीं देती है। इसे ही जीरो शैडो डे कहते हैं। यह तिथि इस बात पर निर्भर करती है कि उस स्थान का अक्षांश क्या है।
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जीरो शैडो डे (Zero Shadow Day) भारत के दक्षिणी भाग में वर्ष के आरंभ में 10 अप्रैल और वापसी में 1 सितम्बर को होता है। इस प्रकार 10 अप्रैल से लेकर 1 सितम्बर तक भारत के किसी न किसी शहर में होते रहने वाली खगोलीय घटना है। शुक्रवार 18 अगस्त को मकर रेखा की ओर लौटता दिखता सूर्य दक्षिण भारत के बैंगलुरू में मध्यान्ह में सिर के उपर था।
मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग में यह 27 मई तथा दूसरी बार 16 जुलाई को होती है। इसका अर्थ यह है कि मध्यप्रदेश में यह घटना 27 मई से 16 जुलाई तक किसी न किसी नगर में होती रहती है। कर्क रेखा के उत्तर में स्थित नगरों में यह घटना नहीं होती है, जिनमें नीमच, ग्वालियर, रीवा आदि जिले आते हैं।
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सारिका ने बताया कि कोई ट्रेन अगर 8 बजे प्रात: बैंगलुरू पहुंचेंगी तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपके नगर के स्टेशन पर भी 8 बजे प्रातः ही पहुंच जाए। इस प्रकार कोई खगोलीय घटना भी किसी स्थान विशेष में ही दिखती है। इसलिए अपने वैज्ञानिक ज्ञान पर शेडो लगने दें और मध्यभारत में 2024 में जून माह में दिखने वाले जीरो शैडो डे का इंतजार करें।