IAS Success Story: हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने के बावजूद, 40वीं रैंक हासिल कर गरिमा अग्रवाल बन गई आईएएस टॉपर
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IAS Success Story Garima Agrawal: यूपीएससी एक ऐसी कठिन परीक्षा होती है जिसमें लोग एक बार सफलता पाने के लिए तरसते हैं। वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जिन्हें किस्मत और उनकी कड़ी मेहनत बार-बार इस मुकाम तक पहुंचा देती है। गरिमा उन लोगो के लिए भी बड़ी प्रेरणा हैं जिन्हें लगता है कि हिंदी मीडियम से की गयी स्टडी उनके करियर में आगे अवरोध बन सकती है। गरिमा के लाइफ के बारे में देखो तो सामने आएगा कि उन्होंने अपनी स्टूडेंट लाइफ में बहुत कुछ हासिल किया और वे हमेशा से एक ब्रिलिएंट स्टूडेंट रहीं।
लेकिन श्रेष्ठ तक पहुंचने का यह सफर इतना आसान नहीं होता न ही इतनी आसानी से यह सफलता मिलती है। हर किसी के जीवन में अपने-अपने संघर्ष होते हैं। गरिमा के भी थे लेकिन सब संघर्षों से पार पाकर उन्होंने यह सफलता हासिल की। आज जानते हैं गरिमा के गौरव भरे इस सफर के बारे में।
मध्यप्रदेश के खरगोन की रहने वाली गरिमा अग्रवाल शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी। शुरूआती शिक्षा उन्होंने खरगोन के ही सरस्वती विद्या मंदिर से की। व्यवसायिक परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद गरिमा का मन पढ़ाई में खूब रमता था। खरगोन के ही स्कूल से पढाई करते हुए उन्होंने 10वीं में 92% और कक्षा 12वीं में 89% प्राप्त किया।

पहले ही प्रयास में बनीं आईपीएस (IAS Success Story)
स्कूल के बाद गरिमा ने जेईई दिया और सेलेक्ट हो गयीं। इसके बाद उन्होंने आईआईटी हैदराबाद से ग्रेजुएशन किया और जर्मनी से इंटर्नशिप। यहीं उन्हें नौकरी का ऑफर भी मिला पर हमेशा से समाज सेवा करने की चाहत रखने वाली गरिमा ने इस नौकरी को न कह दिया। गरिमा ने करीब डेढ़ साल परीक्षा की तैयारी करके साल 2017 में पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और पहली ही बार में सेलेक्ट हो गयीं। गरिमा की 241वीं रैंक थी और उन्हें आईपीएस सर्विस मिली।
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गरिमा अपनी सफलता से संतुष्ट थीं पर उन्हें आईएएस ज्यादा लुभावना क्षेत्र लगता था। इधर गरिमा ने आईपीएस की ट्रेनिंग ज्वॉइन कर ली और चूंकि वे पहले ही यूपीएससी के लिए तैयारी कर चुकी थीं इसलिए उन्होंने साथ ही में एक बार फिर से तैयारी जारी रखते हुए दोबारा परीक्षा देने का मन बनाया। गरिमा की मेहनत और समर्पण की दाद देनी होगी कि ट्रेनिंग के साथ भी उन्होंने अगले ही साल यानी साल 2018 में न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि 40वीं रैंक लाकर टॉप भी किया। इसी के साथ उनका बचपन का सपना पूरा हो गया।
गरिमा की बड़ी बहन प्रीती अग्रवाल ने भी साल 2013 में यूपीएससी परीक्षा पास की है ओर आज वह इंडियन पोस्टल सर्विस में कार्यरत हैं उनकी बहन के पति शेखर गिरिडीह भी आईआरएस ऑफिसर हैं। एक ऐसी फैमिली से संबंध रखने के कारण गरिमा भी शुरू से ही IAS ऑफ़िसर बनने का सपना देखती थी। हर किसी के जीवन में अपने-अपने संघर्ष होते हैं। गरिमा के भी थे लेकिन सब संघर्षों से पार पाकर उन्होंने यह सफलता हासिल की।

हिंदी मीडियम के बच्चों के लिए कहा
गरिमा उन यूपीएससी कैंडिडेट्स के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं जिन्हें लगता है कि हिंदी मीडियम से की गई स्टडी उनके आने वाले करियर में उनके लिए अवरोध बन सकती है। गरिमा ने अपनी पूरी स्कूलिंग अपने टाउन में स्टेट बोर्ड से पूरी हुई परंतु इसके बावजूद भी गरिमा अपने जीवन में सफलता दर सफलता हासिल करती गयीं।