Black tomato farming : काले टमाटर की खेती कर मालामाल हो रहे देश के किसान, फायदे जानकर आप भी कर देंगे शुरुआत
Black tomato farming: देश में इस समय खेती को लेकर नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। विदेशी फसलों का भी क्रेज किसानों में देखा जा रहा है। देश के कई किसान तो अब ऐसी फसलों को ही ज्यादा प्राथमिकता दे रहे है और हर साल लाखों रूपए की कमाई भी कर रहे है। इन्हीं में से एक है काले टमाटर की खेती। नाम सुनकर शायद आपको भी थोड़ा अजीब लगे, लेकिन ये सच है। देश में हजारों किसान अब काले टमाटर की खेती कर रहे है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कैंसर के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा भी यह टमाटर कई बीमारियों से लड़ने में कारगर है। काले टमाटर की खेती कैसे करना है और इससे क्या-क्या फायदे है। इसकी पूरी जानकारी आज हम आपको दे रहे हैं।
यहां जानें काले टमाटर के बारे में Black tomato farming
सबसे पहले काले टमाटर की खेती की शुरूआत इंग्लैंड में हुई है। इसका श्रेय रे ब्राउन को जाता है। उन्होंने जेनेटिक मुटेशन के द्वारा काले टमाटर को तैयार किया था। यह आरंभिक अवस्था में काला और पकने पर पूरी तरह काला हो जाता है। इसे इंडिगो रोज टोमेटो भी कहते हैं। इसे तोड़ने के बाद कई दिनों तक यह ताजा रहता है। यह जल्दी खराब और सड़ता नहीं है। इस टमाटर में बीज भी कम होते हैं।देखने में यह उपर से काला और अंदर से लाल होता है। इसके बीज लाल टमाटर की तरह ही होते हैं। इसका स्वाद लाल टमाटर से कुछ अलग नमकीन होता है। इसमें ज्यादा मीठापन नहीं होने के कारण यह शुगर के मरीजों के लिए काफी लाभदायक होता है। इसे शुगर और दिल के मरीज भी खा सकते हैं।
इस समय करें बुआई
सर्दियों के जनवरी माह में पौध की बुआई की जाती है और गर्मियों यानी मार्च-अप्रैल के माह में किसान को काले टमाटर मिलने लगते हैं।
ऐसी मिट्टी और तापमान चाहिए (Black tomato farming )
इसकी खेती के लिए जीवांश और कार्बनिक गुणों से भरपूर दोमट मिट्टी सही होती है। चिकनी दोमट मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0-7.0 होना चाहिए। इसकी खेती 10 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में होती है। 21 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में पौधों का विकास अच्छा होता है। भारत में इसकी खेती झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कई किसान कर रहे हैं। काले टमाटर की खेती करने के लिए सबसे पहले टमाटर के पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है जिसके लिए नर्सरी की मिट्टी को भुरभुरा करना लाभदायक होता है। इसके बाद बीजो को भूमि की सतह से 20 से 25 CM की ऊंचाई पर लगाना होता है। नर्सरी में बीजो की रोपाई के 30 दिन पश्चात् खेत में पौध रोपाई कर दे। भारत में इसकी खेती झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कई किसान कर रहे हैं।
काले टमाटर की खेती की लागत
काले टमाटर की खेती में लगभग उतना ही खर्च आता है जितना लाल टमाटर की खेती में पैसा लगता है। काले टमाटर की खेती में सिर्फ बीज का पैसा अधिक लगता है। काले टमाटर की खेती में पूरा खर्चा निकालकर प्रति हेक्टेयर 4-5 लाख का मुनाफा हो सकता है। काले टमाटर की पैकिंग और ब्रांडिंग भी मुनाफे को बढ़ा देती है। पैकिंग करके आप इसे बड़े महानगरों में बिक्री के लिए भेज सकते हैं। इसके आकर्षक रंग को देखकर ग्राहकों की उत्सुकता खरीदने में और बढ़ जाती है।
काले टमाटर की उन्न्त किस्में
- ब्लू चॉकलेट
- ब्लू गोल्ड फ़ारेनहाइट ब्लूज
- डांसिंग विथ स्मर्फस
- हेल्सिंग जंक्शन ब्लूज
- इंडिगो ब्लू बेरीज डार्क गैलेक्सी
- इंडिगो रोज़
- इंडिगो रब
- सनब्लैक
- पर्पल बंबलबी
- ब्लैक ब्यूटी
- ब्लू बायो
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इतनी सारी है खासियत
काला टमाटर में लाल टमाटर के मुकाबले अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है। अलग रंग और गुण होने के कारण इसकी कीमत बाजार में लाल टमाटर के मुकाबले अधिक है। इन टमाटर में वजन कम करने से लेकर, शुगर लेवेल को कम करना, कोलेस्ट्रॉल घटाने तक में कारगर साबित पाया गया है। यह बाहर से काला और अंदर से लाल होता है। इसको कच्चा खाने में न ज्यादा खट्टा है न ज्यादा मीठा, इसका स्वाद नमकीन जैसा है।
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