Statement on Kamal Nath: आमला विधायक डॉ. पंडाग्रे का बड़ा हमला, बोले- मेरी नजर में कमल नाथ राष्ट्रीय स्तर के नहीं, केवल एक क्षेत्रीय नेता
Statement on Kamal Nath : राजनीति में आने से पहले मैंने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के बारे में बहुत कुछ सुना था। मैं भी उन्हें राष्ट्रीय स्तर का और बड़ा नेता मानता था। वे जब 15 महीने के लिए मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली और नजरिए से साबित कर दिया कि वे राष्ट्रीय नहीं बल्कि केवल क्षेत्रीय स्तर के नेता हैं। मेरी नजर में भी अब वे क्षेत्रीय स्तर के नेता से अधिक नहीं हैं।
यह बात बैतूल जिले की आमला-सारणी विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे ने गुरुवार को भाजपा कार्यालय बैतूल में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। पत्रकार वार्ता में पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल, भाजपा जिला अध्यक्ष बबला शुक्ला, आमला विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे, जिला पंचायत अध्यक्ष राजा पंवार, कमलेश सिंह, मीडिया सह प्रभारी विशाल बत्रा उपस्थित थे।
दरअसल विधानसभा चुनाव के लिए जिले के आमला क्षेत्र से प्रचार का शंखनाद करने 14 जनवरी को खेड़ली बाजार आ रहे कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमल नाथ को भाजपा ने घेरना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में भाजपा नेताओं ने आज पत्रकार वार्ता कर मीडिया के माध्यम से पूर्व नाथ पर सवालों की बौछार की। साथ ही कहा कि वे पहले किए वादों का हिसाब दें, फिर अगले चुनाव के लिए नए वादों की झड़ी लगाएं।
विधायक डॉ. पंडाग्रे ने आगे कहा कि एक मुख्यमंत्री के लिए पूरा प्रदेश एक समान होना चाहिए। उसे सभी क्षेत्रों में बिना भेदभाव के काम कराने चाहे, लेकिन पूर्व सीएम नाथ ने इतना संकीर्ण रवैया दिखाया कि केवल और केवल छिंदवाड़ा में काम कराए। वे छिंदवाड़ा जिले को ही पूरा प्रदेश मान बैठे थे। इससे पूरे प्रदेश के साथ पक्षपात हुआ। इसी रवैये का खामियाजा भी उन्हें सीएम की गद्दी गवां कर चुकाना पड़ा।
डॉ. पंडाग्रे ने कहा कि कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री नाथ ने आमला विधानसभा से भी जमकर भेदभाव किया था। उनके पास उस समय देने के लिए सब कुछ था, लेकिन उन्होंने आमला विधानसभा को कुछ भी नहीं दिया, बल्कि भरपूर भेदभाव किया। अब देने के लिए कुछ नहीं है और वोट भी लेना है तो उन्हें आमला क्षेत्र की याद आ गई।
मुगालते में पूर्व मुख्यमंत्री नाथ
पूर्व मुख्यमंत्री पर सीधे आरोप लगाते हुए डॉ. पंडाग्रे ने कहा कि दरअसल वे मुगालते में हैं कि जिले की 4 सीटों पर तो उनका कब्जा है ही और अगले चुनाव में भी रहेगा, कमजोर केवल आमला सीट है और वे आकर इस सीट पर कांग्रेस को मजबूत कर देंगे। लेकिन, ऐसा होगा नहीं। आमला क्षेत्र की जनता भी उनके साथ हुए पक्षपात का करारा जवाब देगी।
सभी को खूब दिखाए थे सब्जबाग
डॉ. पंडाग्रे ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री नाथ ने धरती के भगवानों से, किसानों से और सभी से छल किया। सभी को खूब सब्जबाग दिखाए पर पूरा कुछ नहीं किया। चाहे वह कन्यादान योजना हो, बेरोजगारी भत्ता हो, किसान कर्जमाफी हो, फसल बीमा योजना हो, सबके एक ही हाल रहे। कोई वादा उन्होंने पूरा नहीं किया।
गरीबों को सहारा देने वाली संबल योजना तक उन्होंने बंद करा दी। उन्होंने तो यहां तक कि अपने ही विधायकों तक की सुध नहीं ली। जिसके चलते वे भी छोड़कर चले गए और सत्ता भी जाती रही। वे तो सोचते हैं कि अभी राजशाही ही है। इसलिए क्षेत्र में लगे उनके पोस्टरों पर उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताया गया है।
अपने कार्यकाल के गिनाए कार्य
डॉ. पंडाग्रे ने कहा कि इसके विपरीत भाजपा सरकार आते ही जिले भर में सभी दूर कार्य हो रहे हैं। उनके आमला-सारणी क्षेत्र में 3 सालों में 20 सड़कें स्वीकृत हुईं, 7 बैराज मंजूर हुए, सीएम राइज स्कूल बन रहा है, अस्पताल निर्माण हो चुका है, एसडीएम कोर्ट, एडीजे कोर्ट, बाजार व्यवस्थित हुआ, पाथाखेड़ा में बिजली आपूर्ति सुचारू हुई।
मंत्री और विधायक भी रहे चुप
डॉ. पंडाग्रे ने कांग्रेस सरकार में जिले से मंत्री रहे और अन्य कांग्रेस विधायकों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बैतूल की योजनाएं छिंदवाड़ा जा रही थी, छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी के विरोध में जिले भर के बच्चे सड़क पर थे पर किसी विधायक ने विरोध में एक शब्द नहीं बोला, सभी के मुंह में दही जमा था। इनमें से किसी ने न जनता का साथ दिया और न कॉलेज के बच्चों का। जिन्हें मंत्री बनाया था वे भी जिले का विकास करने के बजाय विकास रोकने का काम करते रहे।
हेमंत ने भी पहले मांगा जवाब
पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि एक मुख्यमंत्री का फर्ज होता है कि वह पूरे प्रदेश को एक नजर से देखें। इसके विपरीत पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने केवल अपने जिले छिंदवाड़ा को देखा। खासतौर से आमला के लिए तो उस बीच एक काम भी नहीं दिया और वहां की जनता के साथ सरासर अन्याय किया। उन्होंने जनता से जो भी वादे किए उनमें से एक भी पूरा नहीं किया। कायदा यही कहता है कि पहले पुराने वादों का जवाब देना चाहिए और उसके बाद नए वादें किए जाएं। इसलिए कमल नाथ को भी पहले यह बताना चाहिए कि पहले जो वादें किए थे, उनका क्या हुआ।