TIL KE FAYDE: तिल में होते हैं बेमिसाल औषधीय गुण, ठंड के दिनों में इसका सेवन यानी सेहत को फायदा ही फायदा
▪️ लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
TIL KE FAYDE: तिल एक पुष्पीय पौधा है। इसके कई जंगली रिश्तेदार अफ्रीका में होते हैं और भारत में भी इसकी खेती और इसके बीज का उपयोग हजारों वर्षों से होता आया है। यह व्यापक रूप से दुनिया भर के उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। तिल के बीज से खाद्य तेल निकाला जाता है। तिल को विश्व का सबसे पहला तिलहन माना जाता है और इसकी खेती 5 हजार साल पहले शुरू हुई थी।
भारत में तिल दो प्रकार का होता है- सफेद और काला। ‘तिल’ शब्द का व्यवहार संस्कृत में प्राचीन है, यहाँ तक कि जब अन्य किसी बीज से तेल नहीं निकाला गया था, तब तिल से निकाला गया था। इसी कारण उसका नाम ही ‘तैल’ अर्थात् (तिल से निकला हुआ) पड़ गया।
ऐसे निकाला जाता है तिल से तेल
तिल बाजरे की फसल के साथ बोया जाता है फिर पकने पर जमीन से सीधा खींच कर पौधे को निकाला जाता है। बाद में इसे एक जगह एक के ऊपर एक पौधा रख के पिरामिडनुमा बनाया जाता है। इसे स्थानीय भाषा में ‘मूसारीया’ कहते हैं। पौधा सूख जाने पर इसे उल्टा करके हल्की चोट से बीजों को निकाला जाता है। इससे बहुत सारे लड्डू बनाए जाते हैं। जिन्हें आम प्रचलित भाषा में ‘तिल्या लाडु’ कहते हैं। इसके साथ-साथ तिलों के तिल से तेल निकालते हैं। तिल के तेल में बाजरे की रोटी को गुड़ के साथ मिलाकर बनाए गये चूरमे का स्वाद बहुत अच्छा होता है।
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इसकी तेल निकालने की प्रक्रिया बड़ी प्रसिद्ध हुआ करती है। आजकल इसका प्रचलन कम हो गया है। तिल, तेली, कोल्हू, घाणी, ये शब्द आजकल बहुत कम सुनाई देते हैं। मशीनीकरण के इस दौर ने शायद इंसान से इस प्रक्रिया व इसकी प्रसिद्धि छीन ली है। आने वाली पीढ़ियों के लिए इन शब्दों से संबंधित बातें सिर्फ किताबों के पन्नों में सिमटी मिलेगी।
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तिल के सेवन का वैज्ञानिक महत्व (TIL KE FAYDE)
अगर वैज्ञानिक आधार की बात करें तो तिल के सेवन से शरीर गर्म रहता है और इसके तेल से शरीर और बालों को भरपूर पोषण तथा नमी भी मिलती है। दरअसल सर्दियों में शरीर का तापमान गिर जाता है और तिल तथा गुड़ खाने से शरीर गर्म रहता है। इसलिए इस त्यौहार में ये चीजें खाई और बनाई जाती हैं।
तिल में प्रचुरता से यह रहते उपलब्ध (TIL KE FAYDE)
तिल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, ऑलिक एसिड, खनिज, फास्फोरस, मोलिब्डेनम, प्रोटीन विटामिन बी बी1, बी6 और ई होता है। प्रोटीन से भरपूर, तिल शाकाहारियों के लिए बेहद जरूरी है तथा ये फाइबर से भरपूर होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। कहा जाता है कि इसमें मौजूद कॉपर और एंटी-ऑक्सीडेंट से गठिया से जुड़े दर्द और सूजन में राहत मिलती है।
इन बीमारियों से मिलती है राहत
तिल में पाया जाने वाला मैग्नीशियम सांस की बीमारी और अस्थमा से राहत देता है। इसमें मौजूद जिंक और कैल्शियम, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं। तिल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और ओलिक एसिड उच्च मात्रा में मौजूद होते हैं, जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करते हैं।
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यह मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण में भी लाभकारी है तथा इसके सेवन से कैंसर होने के खतरों में भी कमी आती है। यह मांसपेशियों के ऊतकों और बालों को मजबूत बनाए रखता है, तथा विकिरण या कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के हानिकारक प्रभावों से डीएनए की रक्षा करने में बहुत फायदेमंद माना जाता है।