Tulasi Vivah : धूमधाम से हुआ तुलसी विवाह; घंटा, शंख की ध्वनि कर भगवान को जगाया, घरों में सजे मंडप
• लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी के विवाह का आयोजन भी किया जाता है।
इसी दिन से भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं और इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। एकादशी के दिन तुलसी विवाह का विधान है।
इस दिन प्रकृति द्वारा प्रदत्त आवला, बेर आदि के साथ नई फसल चने की भाजी, भटे और गन्ने की नई फसल का पूजन कर किसान कटाई शुरू करते हैं। इनका सेवन करना भी इस दिन से प्रारम्भ किया जाता है। आज घर-घर तुलसी विवाह की धूम रही। नई फसल का पूजन कर सुख समृद्धि के लिए प्रकृति की देवी का आव्हान किया गया।
घरों घर धूमधाम से महिलाओं ने शालिग्राम शिला जिसे, भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, का विवाह तुलसी से गन्ने का मंडप डालकर कराया। तुलसी विवाह को देखते हुए एक दिन पहले से ही ग्रामीण क्षेत्रों से किसान गन्ने लेकर शहर में पहुंचने लगे थे। इसके साथ ही बेर, भाजी, आवला बेचने वाले भी जगह-जगह नजर आ रहे थे।