जज्बा: कद 2.8 फीट, कई बार टूटी हड्डियां, खुद के पांव पर नहीं हो पातीं खड़ी फिर भी दूसरों को देती है जीने का हौसला-Poonam Shroti Bhopal

कद 2.8 फीट, कई बार टूटी हड्डियां, खुद के पांव पर नहीं हो पातीं खड़ी फिर भी दूसरों को देती है जीने का हौसला-Poonam Shroti Bhopal

MP News: ये हैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की पूनम श्रोती (Poonam Shroti Bhopal)। इनका कद है मात्र 2.8 फीट। वे ऐसी जटिल बीमारी से ग्रसित हैं जिसमें जरा सी ठोकर भी लग जाए तो हड्डी टूट जाती है। इनकी भी हड्डियां अनगिनत बार टूट चुकी है। स्थिति यह है कि वे न अपने पांव पर खड़ी हो पाती हैं और न ही चल पाती हैं। इन सबके बावजूद आप शायद यकीन नहीं कर पाएंगे कि वे देश की 100 पावरफुल महिलाओं में शामिल हैं। भले ही वे अपने पांव पर खड़ी न हो पाएं, लेकिन दूसरों को जीने का हौसला देती हैं।

हम इनका परिचय आपसे इसलिए करवा रहे हैं क्योंकि डॉटर्स डे (25 सितंबर) पर बैतूल में देश का नाम गौरवान्वित करने वाली बेटियां मणिकर्णिका-2022 सम्मान से सम्मानित होंगी। नेत्र चिकित्सक डॉ. वसंत श्रीवास्तव एवं एडव्होकेट नीरजा श्रीवास्तव की सुपुत्री स्वर्गीय नेहा अभिषेक श्रीवास्तव की स्मृति में बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सम्मानित होने वालों में एक नाम पूनम श्रोती का भी है।

इनके बारे में जानकारी देते हुए बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की अध्यक्ष गौरी बालापुरे ने बताया कि पूनम श्रोती दिव्यांगों के लिए आशा की किरण हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश की 100 पॉवरफुल महिलाओं को पुरस्कार प्रदान किया है, उनमें से एक पूनम भी थीं। पूनम श्रोती मिसाल हैं उन लोगों के लिये जो अपनी असफलता के लिये जिंदगी भर दूसरों को कोसते रहते हैं। वे हिम्मत हैं उन लोगों के लिए जो मुश्किल हालत में टूट जाते हैं। वे उम्मीद हैं उन लोगों के लिये जो शारीरिक कमजोरी के कारण आगे बढ़ना छोड़ देते हैं।

33 वर्षीय पूनम ओस्टियोजेनिसिस नामक जटिल बीमारी से पीड़ित हैं। इसके चलते उन्हें अगर हल्की सी ठोकर लग जाए तो उनकी हड्डियां टूट जाती हैं। ये बीमारी लाखों में से एक या दो को ही होती है। यही कारण है कि उनका न कद बढ़ सका और न ही वे शारीरिक रूप से पूर्णत: विकसित हो सकीं। इस बीमारी के चलते उनके शरीर की हड्डियां अनगिनत बार टूट चुकी हैं। इन्हीं के चलते खड़े भी नहीं हो पाने की उनकी मजबूरी है।

इन सबके बावजूद उनमें हिम्मत इतनी है कि वे दूसरों को जीने का हौसला देती हैं। वे केवल दिव्यांगों के लिए ही आशा की केंद्र नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका जन्म वर्ष 1986 में टीकमगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। जन्म के समय उनके पिता राजेन्द्र श्रोती कारगिल में सेना में तैनात थे। जन्म के समय ही वह लगातार दो दिन रोती रही।

इसके बाद जब पिता घर आए तो वे टीकमगढ़ के अस्पताल में ले गए। जहां डॉक्टर ने पैर कमजोर होने की बात कहते हुए दोनों पांव उल्टे टांग कर एक माह तक रखा। इसके बाद भी जब सुधार नहीं हुआ तो पिता भोपाल के अस्पताल लेकर आए। जहां बीमारी के बारे में पता चला। वे ही पूनम अब देश में मोटिवेशन स्पीकर के रुप में पहचान बना चुकी हैं। बैतूल में होने वाले इस कार्यक्रम में देश की सौ सुपर वुमन में शामिल पूनम श्रोती भी मणिकर्णिका सम्मान प्राप्त करेंगी।

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