lumpy skin disease: एमपी में पशुओं में लम्पी बीमारी फैलने की आशंका, पशुपालन विभाग और गो संवर्द्धन बोर्ड हुआ अलर्ट, बचाव के लिए दी यह सलाह

lumpy skin disease: भोपाल (betul update)। मध्यप्रदेश गोपालन एवं पशुधन संवर्द्धन बोर्ड (Madhya Pradesh Gopalan and Livestock Promotion Board) की कार्यपरिषद के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि (Mahamandaleshwar Swami Akhileshwaranand Giri) ने गुरुवार को भोपाल स्थित मध्यप्रदेश गोसंवर्द्धन बोर्ड (cow promotion board) के कार्यालय गोमंगलम्’ (माता मंदिर चौराहा में) पशुपालन विभाग के अपने स्टाफ एवं अधिकारी की एक आवश्यक बैठक ली।
बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि प्रदेश के कुछ जिलों में जो राजस्थान की सीमा से सटे हैं, में गोवंश पर लम्पी स्कीन डिजीज के होने के पुष्ट/अपुष्ट समाचार मिले हैं। इसके निदान/उपचार हेतु प्रदेश के समस्त जिलों के उपसंचालक (पशुपालन एवं डेयरी विभाग) तथा प्रदेश की सभी शासकीय/अशासकीय गोशालाओं को एहतियात बरतने के निर्देश जारी किये हैं। पशुओं पर (गोवंश पर फैलने वाली इस संक्रामक डिजीज के प्राथमिक लक्षण/बीमारी के दुष्परिणाम एवं गोवंश के देखभाल की विधि/उपचार विधि आदि की सूचना पशु पालकों में जागरुकता जैसे निर्देश जारी किये गये हैं।
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बोर्ड की कार्यपरिषद् के अध्यक्ष, स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि के अनुसार मप्र के सभी जिलों का प्रशासनिक अमला प्रदेश में “लम्पी स्कीन डिजीज” (lumpy skin disease) की आशंका को ध्यान में रखते हुये विशेष रूप से पशु चिकित्सा विभाग एवं पशुपालन विभाग अन्तर्गत “पशु मातामहामारी इकाई” (Rinder Pest) को अलर्ट कर दिया गया है। इस इकाई ने प्रदेश की गोशालाओं में वेक्सीनेशन (टीकाकरण) प्रारंभ कर दिया है।
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उन्होंने बताया कि हमें प्रदेश के किसी भी गौशाला से लम्पी स्कीन डिजीज से पशु के मृत्यु होने की कोई सूचना नहीं है। लम्पी बीमारी से संबंधित किसी भी जानकारी के लिये विभाग द्वारा कन्ट्रोल रुम 0755-2767583 स्थापित किया गया है। फिर भी हमने गोसंवर्द्धन बोर्ड, भोपाल कार्यालय से अलर्ट जारी कर दिया है।
मप्र गोसंवर्द्धन बोर्ड की कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने प्रदेश के पशुपालकों/गोपालकों से अपील की है कि अपने पालित गोवंश को खुले में न छोड़े पशुओं में फैल रही संक्रामक बीमारी पशुओं से पशुओं में विस्तार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। बचाव में ही सुरक्षा है। इसलिए पालित गोवंश को घर पर ही रखें।