हद है : छह सालों में भी नहीं हो पाया एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन, खड़ी-खड़ी हो रही कबाड़ में तब्दील, उधर बोरदेही में मरीजों को भरवाना पड़ता है डीजल
There is a limit: registration of ambulance could not be done even in six years, turning into standing junk, on the other hand patients have to fill diesel in Bordehi

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• अंकित सूर्यवंशी, आमला
एक ओर एंबुलेंस (ambulance) सुविधा नहीं मिलने से लोगों की जान चली जाती है। अभी भी जिले में जरूरत के अनुसार एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है। इसके चलते इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ बैतूल जिले के आमला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाखों की एंबुलेंस बीते 6 सालों से धूल खाते खड़ी है। बताते हैं कि मिलने के बाद से इस एंबुलेंस का एक बार भी उपयोग नहीं हुआ। अब यह यहां खड़े-खड़े ही कबाड़ में तब्दील हो रही है। दूसरी ओर लोगों को मरीजों को अस्पताल पहुंचाने निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
यह एम्बुलेंस पूर्व विधायक चेतराम मानेकर ने विधायक निधि से दी थी। जिस बात को लगभग 6 वर्ष हो गए। 6 सालों से यह एम्बुलेंस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही धूल खा रही है। विधायक निधि से दी गई एम्बुलेंस के न ही कोई कागजात है और न ही इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हुआ है।
बताया जाता है कि एम्बुलेंस विधायक निधि से थी, इसलिए इसका रजिस्ट्रेशन सहित कागजातों की जवाबदारी भी विधायक की ही थी। लेकिन वर्तमान तक इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। ऐसे में यह एंबुलेंस धूल खाकर जर्जर हो चुकी है।

शासन से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लगभग 70 ग्रामों में एक ही 108 दौड़ रही है। वहीं उप स्वास्थ्य केंद्र बोरदेही अंतर्गत आने वाले लगभग 35 से 40 ग्रामों में एक भी 108 की सुविधा नहीं है। वर्तमान विधायक डॉ. योगेश पन्डाग्रे द्वारा विधायक निधि से एक एम्बुलेंस उपस्वास्थ्य केंद्र बोरदेही को दी गई है।
यहां एंबुलेंस तो मिल गई, लेकिन विधायक निधि से दी हुई एम्बुलेंस के लिए अस्पताल में कोई मद नहीं होने से वह भी सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रही है। जबकि किसी मरीज को आपातकाल स्थिति में एम्बुलेन्स लेकर जाना हो तो उसका खर्च मरीज के परिजन को ही उठाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों के मुताबिक उपस्वास्थ्य केंद्र बोरदेही को अगर एक 108 की सुविधा मिल जाती तो उपस्वास्थ्य केंद्र बोरदेही व मोरखा के लगभग 80-90 ग्रामों को इसकी सुविधा मिल जाती। इससे क्षेत्र की गरीब जनता को आर्थिक भार नहीं उठाना पड़ता।
विधायक निधि से दी हुई एम्बुलेंस के लिए अलग से कोई मद नहीं होता है। जनता के लिए वाहन चालक एम्बुलेंस में है। लेकिन पेट्रोल-डीजल का खर्च मरीज के परिजनों को ही वहन करना पड़ेगा।
डॉ. अशोक नरवरे
बीएमओ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, आमला
जब विधायक निधी से एम्बुलेंस खरीदी तो उसी समय बी एम ओ को इसके रजिस्ट्रेशन के बारे मे अवगत कराना था क्यो बी एम ओ द्वारा विधायक का ध्यान आकृष्ट किया गया क्या विधायक ने बी एम ओ को बगैर बताये एम्बलेन्स लाकर रख दिया था. एम्बलेन्स कबाड हो गई है तो संबंन्धितो से वसुली होना चाहिये. जनता का पैसा बरबाद करने का किसी को भी अधिकार नही है.
बिलकुल सही…