wheat prices : मंडी में गेहूं के दामों में और उछाल, किसानों की बल्ले-बल्ले, समर्थन मूल्य पर बेचने से परहेज
Wheat prices rise further in the market, farmers refrain from selling their bats and bats on support price
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बैतूल कृषि उपज मंडी में गेहूं की आवक जहां बढ़ रही है वहीं दामों (wheat price) में भी उछाल आ रहा है। पिछले तीन दिन के भीतर ही गेहूं के दामों में 40 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ गई है। इससे किसानों को अच्छा लाभ हासिल हो रहा है। खुले बाजार में गेहूं के दाम अधिक होने के कारण किसान समर्थन मूल्य के खरीदी केंद्रों पर उपज लेकर ही नहीं जा रहे हैं। जिससे गेहूं खरीदी का लक्ष्य पूरा होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
जिले की सबसे बड़ी बडोरा स्थित कृषि उपज मंडी में दो मई को गेहूं की आवक 13097 बोरा हुई थी और दाम 2076 रुपये प्रति क्विंटल ही थे। चार मई को आवक घटकर 7335 बोरा रह गई तो दाम भी घटकर 2050 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए थे। पांच मई को गेहूं की आवक बढ़कर 10304 बोरा पर पहुंच गई तो दाम भी उछलकर 2114 रुपये पर पहुंच गए। शुक्रवार छह मई को मंडी में गेहूं की 12658 बोरा की आवक हुई और दाम भी बढ़कर 2116 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
शनिवार को गेहूं की आवक 12147 बोरा हुई और दामों में और उछाल आ गया। शनिवार को गेहूं का अधिकतम भाव 2159 रहा। यही नहीं सबसे कम भाव 2050 रुपए प्रति क्विंटल रहे। जो काफी अधिक माने जा रहे हैं। गेहूं के भाव का जो रुख है, उससे आने वाले दिनों में और इजाफा ही होने की उम्मीद जताई जा रही है।
मंडी के व्यापारियों की मानें तो गेहूं की मांग तेज हो गई है। इस वजह से बाहर के व्यापारी अधिक दाम पर भी गेहूं की मांग कर रहे हैं। ऐसे में मंडी में दाम बढ़ते जा रहे हैं। इसका सीधा लाभ किसानों को हो रहा है। आने वाले दिनों में गेहूं के दामों में और उछाल आने की संभावना व्यापारी जता रहे हैं।
तीन दिन में ही 100 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ने के कारण किसान भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं। ग्राम रतनपुर के लतेश चौधरी ने बताया कि पहले तो ऐसा लग रहा था कि दामों में गिरावट आएगी। लेकिन अब जिस तेजी से दाम बढ़ते जा रहे हैं उससे उम्मीद है कि कुछ दिन बाद अब तक के सबसे अधिक दाम गेहूं बेचने वाले किसानों को मिलेंगे।
सरकारी खरीदी का लक्ष्य पूरा होने के नहीं कोई आसार
जिले में किसानों के द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने से परहेज किया जा रहा है। खरीदी में अब 10 दिन का ही वक्त रह गया है, लेकिन अब तक 755 किसानों से 34 हजार 813 टन गेहूं की खरीदी ही हो पाई है। समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए 40 हजार 636 किसानों ने पंजीयन कराया है। इसके लिए 91 खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं। लेकिन मात्र 40 केंद्रों पर ही गेहूं की खरीदी की जा सकी है। शेष 51 केंद्रों पर तो खाता भी नहीं खुल पाया है।
जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने के लिए पहले दो लाख टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसे घटाकर अब 45 हजार टन कर दिया गया है। जिस तेजी से खुले बाजार में गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी लक्ष्य तक भी पहुंच पाएगी इसे लेकर संदेह है। उपज बेचने के लिए 5779 किसानों ने स्लाट बुक किए हैं और आपूर्ति विभाग की ओर से 31 हजार 768 किसानों को एसएमएस भी किए गए, लेकिन किसान केंद्र पर उपज लेकर ही नहीं पहुंचे।
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की अंतिम तिथि 16 मई निर्धारित की गई है। किसानों का कहना है कि शासन स्तर से इस बार समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए तमाम ऐसे नियमों का बोझ किसानों पर लाद दिया है जिसे सामान्य किसान उठा नहीं पा रहे हैं। खुले बाजार में दाम अधिक मिलने के कारण किसानों द्वारा समर्थन मूल्य के खरीदी केंद्रों से किनारा कर लिया है।
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