पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बनाए रखने आर्द्र भूमि को लुप्त होने से बचाना जरूरी

  • मोहन नागर, पर्यावरणविद, बैतूल
    आज (2 फरवरी) विश्व आर्द्र भूमि दिवस (World Wetlands Day) है। आर्द्र भूमि जलयुक्त व दलदली होती है। जो विभिन्न प्रकार के जीवन का केन्द्र होती है। यह प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों हो सकती है। आर्द्र भूमि जैव विविधता और पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और उसमें वृद्धि करने में महत्वपूर्ण होती है।

    आर्द्र भूमि एक सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तन्त्र हैं। जिसमें लाखों-करोड़ों प्रकार के जीव-जन्तु जन्म लेते हैं। जो हमारे पर्यावरण के लिये उपयोगी हैं। पहले हर गाँव में बारहमासी नदियाँ, तालाब, पोखर या घने पेड़ों के बीच इस तरह के स्थान हुआ करते थे, जहाँ जाने में डर लगता था। किन्तु अब ऐसे स्थान विरले ही बचे हैं।

    विश्व आर्द्रभूमि दिवस प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को मनाया जाता है। वार्षिक आयोजन का उद्देश्य आर्द्र भूमि के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। जो जैव विविधता में योगदान के अलावा जलवायु प्रभाव को कम करने और मीठे पानी की उपलब्धता में भी मदद करता है।

    आर्द्र भूमि अत्यन्त महत्वपूर्ण और संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र है। जो जैव विविधता के मुख्य केन्द्र है। अपने पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों के जीवन को पनपने में मदद करते हैं। आज आर्द्र भूमि लैंडफिल या रियल एस्टेट प्रोजेक्ट बनाकर समाप्त की जा रही है।

    हमें अपनी आर्द्र भूमि को बचाने की आवश्यकता है। इस वर्ष के विश्व वेटलैंड्स दिवस के उत्सव का विषय वेटलैंड्स एक्शन फॉर पीपल एंड नेचर है। समाज के सभी वर्गों से यह अपील है कि आर्द्र भूमि को लुप्त होने से बचाएँ और खराब पड़ी भूमि को आर्द्र भूमि बनायें।

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