दो-दो वित्तीय संस्थानों से करा लिया था बीमा, फोरम ने दिया यह फैसला

  • उत्तम मालवीय, बैतूल © 9425003881
    अलग-अलग बैंकों से एक ही कृषि भूमि पर कर्ज लेकर फसल बीमा कराने को बैतूल के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने छल जैसा अपराध माना है। आयोग के अध्यक्ष विपिन बिहारी शुक्ला और सदस्य अजय श्रीवास्तव ने मुलताई तहसील के किसान सर्वेलाल रघुवंशी द्वारा वर्ष 2017 के खरीफ मौसम की अधिसूचित एवं बीमित सोयाबीन फसल की बीमा राशि का आंशिक भुगतान किए जाने से आहत होकर बीमा क्षतिपूर्ति की अंतर की राशि और ब्याज दिलाने की मांग को लेकर दायर परिवाद पर यह निर्णय देते हुए निरस्त कर दिया है।

    यह भी पढ़े… सीजर के दौरान पेट में छोड़ दिया था कपड़ा, अब डॉक्टर को देना होगा इतना हर्जाना

    दरअसल, मुलताई तहसील के ग्राम चिखलीकलां के किसान सर्वेलाल पिता गोकुलसिंह रघुवंशी के द्वारा अपनी 6.026 हेक्टेयर कृषि भूमि पर स्टेट बैंक आफ इंडिया शाखा मुलताई से वर्ष 2017 में खरीफ मौसम में सोयाबीन की फसल हेतु किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज लिया था। बैंक ने 14 सितंबर 2017 को बीमा प्रीमियम राशि 4146 रुपये कर बीमा कंपनी को भुगतान कर राष्ट्रीय (प्रधानमंत्री) कृषि फसल बीमा योजना के अंतर्गत सोयाबीन की फसल का बीमा कराया था। वर्ष 2017 के खरीफ मौसम में परिवादी की सोयाबीन की फसल प्राकृतिक आपदा के कारण बर्बाद हो गई।

    यह भी पढ़ें… उम्मीदवार बोले- प्रचार पर हुआ खर्च कौन वापस करेगा साहब… आमला से उठी हर्जाना देने की मांग

    शासन द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार पटवारी हल्का नंबर 68 ग्राम चिखलीकलां, तहसील मुलताई, जिला बैतूल की सोयाबीन की फसल के उत्पादनमें 62 प्रतिशत कमी अर्थात 62 प्रतिशत क्षतिपूर्ति हुई। इस आधार पर सर्वेलाल को एक लाख 28 हजार 522 रुपये बीमा बाबा राशि प्राप्त होना था। इसके बदले में उसे केवल 49, 187 रुपये क्षतिपूर्ति राशि का ही भुगतान किया गया। इस पर किसान ने 79,355 रुपये अंतर की क्षतिपूर्ति राशि ब्याज सहित प्रदान कराने के लिए परिवाद दायर किया।

    यह भी पढ़ें… बरसे ओले, चली आंधी: बिजली के पोल और कई पेड़ हुए जमींदोज

    विचारण के दौरान आयोग ने जांच कराई तो यह सामने आया कि किसान द्वारा वर्ष 2017 के खरीफ मौसम में अपने स्वामित्व की कृषि भूमि पर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति चिखलीकलां से भी ऋण लेकर सोयाबीन फसल का बीमा कराया था और उसकी क्षतिपूर्ति राशि भी सहकारी समिति से प्राप्त की है।

    यह भी पढ़ें… शाम होते ही आग से धधक उठते हैं खेत, यह है वजह

    बैंक के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कोई भी कृषक एक ही मौसम में दो भिन्न-भिन्न वित्तीय संस्थाओं से एक ही फसल का बीमा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना अथवा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत नहीं करा सकता। यदि कृषक एक ही मौसम में एक ही फसल का वो पृथक-पृथक वित्तीय संस्थाओं से फसल का बीमा कराता है, तो उसका यह कृत्य छल के अपराध की परिधि में आता है।

    यह भी पढ़ें… नेशनल हाईवे पर पलटा 407 वाहन: दस लोग घायल, पांच बैतूल रेफर

  • Related Articles

    Back to top button

    Adblock Detected

    Please consider supporting us by disabling your ad blocker